Edited By Ramanjot, Updated: 14 Apr, 2025 03:01 PM
बिहार खेलों के क्षेत्र में ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित 'संवाद' में आयोजित भव्य समारोह में खेलो इंडिया यूथ गेम्स, बिहार 2025 के आधिकारिक 'लोगो' का अनावरण किया।
पटना: बिहार खेलों के क्षेत्र में ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित 'संवाद' में आयोजित भव्य समारोह में खेलो इंडिया यूथ गेम्स, बिहार 2025 के आधिकारिक 'लोगो' का अनावरण किया।वहीं केंद्रीय श्रम एवं रोजगार तथा युवा मामले और खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने इस आयोजन के 'शुभंकर गजसिंह' को रिमोट के माध्यम से लॉन्च किया। इस अवसर पर कार्यक्रम का थीम सॉन्ग भी लॉन्च किया गया और खेलो इंडिया मशाल गौरव यात्रा रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि “यह पूरे बिहार के लिए गर्व की बात है कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स का आयोजन पहली बार हमारे राज्य में हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4 मई को पटना में इस ऐतिहासिक आयोजन का उद्घाटन करेंगे। हम पूरे देश से आने वाले सभी खिलाड़ियों का स्वागत करते हैं। यह आयोजन बिहार में खेल संस्कृति को नई ऊर्जा देगा और हमारी युवा प्रतिभाओं को राष्ट्रीय स्तर पर चमकने का मंच प्रदान करेगा।”
खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025: बिहार बनेगा देश का खेल हब
4 मई से 15 मई, 2025 तक पटना, नालंदा (राजगीर), गया, भागलपुर और बेगूसराय ज़िलों में यह भव्य आयोजन किया जाएगा, जिसमें 28 खेलों के लिए देशभर से 8,500 खिलाड़ी और 1,500 टेक्निकल स्टाफ, यानी कुल 10,000 प्रतिभागी हिस्सा लेंगे। आयोजन से पहले 15 अप्रैल से 2 मई तक, खेलो इंडिया मशाल गौरव यात्रा बिहार के 38 जिलों से होकर गुजरेगी।

शुभंकर ‘गजसिंह’ और लोगो: बिहार की विरासत और खेल भावना का मिलन
खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 का 'लोगो' बिहार की सांस्कृतिक विरासत और खेल भावना का प्रतीक है। इसमें नारंगी और हरे रंग के संयोजन से उत्साह और प्रकृति की झलक मिलती है। शुभंकर 'गजसिंह' का स्वरूप नालंदा और बोधगया की ऐतिहासिक गजसिंह मूर्तियों से प्रेरित है, जो पाल काल की उत्कृष्ट स्थापत्य परंपरा का प्रतिनिधित्व करता है। यह केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि बुद्धिमानी, साहस और शक्ति का प्रतीक है, जो युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करेगा।

लोगो में बिहार की आत्मा समाहित
महाबोधि मंदिर, नालंदा विश्वविद्यालय, पीपल वृक्ष, गौरैया, गंगेटिक डॉल्फिन, मधुबनी चित्रकला, छठ पूजा, वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व, अशोक चक्र, और सिंह स्तंभ — इन सबकी झलक वाले इस डिजाइन में बिहार की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक और बौद्धिक विविधता की पहचान समाहित है। यह नारा “खेल के रंग! बिहार के संग!” केवल नारा नहीं, बल्कि खेल पुनर्जागरण का संकल्प है।

राज्य सरकार और केंद्र का साझा प्रयास
इस भव्य आयोजन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। खेल विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. बी. राजेन्दर ने मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री को प्रतीक चिन्ह भेंट किए। आयोजन से संबंधित लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई, जिसमें बिहार के खेलों की यात्रा और भविष्य की दिशा को दर्शाया गया।

वरिष्ठ अधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस आयोजन में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी, खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा, विकास आयुक्त प्रत्यय अमृत, पुलिस महानिदेशक विनय कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव कुमार रवि, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविन्द्रण शंकरण, खेल निदेशक महेन्द्र कुमार समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।