Edited By Ramanjot, Updated: 03 Sep, 2023 09:39 AM

श्रवण कुमार ने कहा कि केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह को कई पत्र भेजे गए, जिसमें उनसे बिहार के लिए नया लक्ष्य आवंटित करने का आग्रह किया गया, लेकिन राज्य को 2018-19, 2022-23 और 2023-24 के लिए लक्ष्य नहीं मिला। राज्य में...
पटना: बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने दावा किया कि केंद्र ने पिछले तीन वर्षों से राज्य को प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत नए लक्ष्य उपलब्ध नहीं कराए हैं, हालांकि राज्य में लगभग 13 लाख परिवार घरों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
श्रवण कुमार ने कहा कि केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह को कई पत्र भेजे गए, जिसमें उनसे बिहार के लिए नया लक्ष्य आवंटित करने का आग्रह किया गया, लेकिन राज्य को 2018-19, 2022-23 और 2023-24 के लिए लक्ष्य नहीं मिला। राज्य में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बिहार सरकार पर इस मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया और दावा किया कि राज्य प्रशासन समय पर काम पूरा होने की रिपोर्ट या उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने के लिए तैयार नहीं है। पीएमएवाई-जी योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पक्के घर बनाने के लिए पात्र लाभार्थियों को केंद्र और राज्य दोनों सरकारों से आर्थिक सहायता मिलती है। केंद्र की अधिसूचना के अनुसार, पीएमएवाई-जी का लक्ष्य मार्च 2024 तक ‘‘सभी के लिए आवास'' योजना के तहत ग्रामीण भारत में 2.95 करोड़ घरों का निर्माण करना है।
"PMAY-G पर हमारे अनुरोध को नजरअंदाज कर रही केंद्र सरकार"
ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा, ‘‘राज्य सरकार लगभग हर दिन करीब 500 घरों का निर्माण पूरा कर रही है। इस प्रगति के बावजूद, बड़ी संख्या में घरों की प्रतीक्षा कर रहे परिवारों का एक समूह अब भी इससे वंचित है। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पीएमएवाई-जी पर हमारे अनुरोध को नजरअंदाज कर रही है।'' मंत्री ने कहा कि पीएमएवाई-जी के तहत लक्ष्य पात्र लाभार्थियों की उपलब्धता, पिछले वर्षों के दौरान आवंटित लक्ष्यों की उपलब्धियों और वार्षिक कार्य योजना के दौरान राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के साथ हुई चर्चा के आधार पर सालाना निर्धारित किए जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वार्षिक लक्ष्यों के आवंटन के बाद, लाभार्थियों के बीच धन का वितरण पात्र लाभार्थियों की संख्या के आधार पर राज्यों द्वारा किया जाता है।'' इस योजना के तहत लाभार्थियों की पहचान 2011 की सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) में उल्लेखित विशिष्ट आवास अभाव मापदंडों के आधार पर की जाती है।