Edited By Swati Sharma, Updated: 09 May, 2025 10:50 AM

Bihar News: बिहार ने अपनी आधारभूत संरचनाओं को मजबूती प्रदान करके स्वास्थ्य सेवाओं में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Minister Mangal Pandey) ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वर्ष 2005 से पहले राज्य में...
Bihar News: बिहार ने अपनी आधारभूत संरचनाओं को मजबूती प्रदान करके स्वास्थ्य सेवाओं में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Minister Mangal Pandey) ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वर्ष 2005 से पहले राज्य में प्रसव के दौरान एक लाख महिलाओं में जहां 374 महिलाओं की मृत्यु हो जाती थी, अब यह आंकड़ा तेजी से घटकर महज 100 पर आ गया है। इसी तरह बिहार में वर्ष 2010 से पहले प्रसव के दौरान जहां एक हजार बच्चों में 48 बच्चों की मौत हो जाती थी, अब यह आंकड़ा भी घटकर 27 पहुंच चुका है।
अब राज्य में 74 प्रतिशत प्रसव संस्थागत हो रहे- Minister Mangal Pandey
पांडेय ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने स्वास्थ्य सेवाओं में काफी तरक्की की है। यह तब संभव हो सका है जब मुख्यमंत्री ने न सिर्फ राज्य के बड़े शहरों में बल्कि पहाड़ियों, जंगलों से घिरे गांवों से लेकर हर साल बाढ़ से प्रभावित होने वाले इलाकों में भी स्वास्थ्य सेवाओं की आधारभूत संरचनाओं का निर्माण किया है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश या राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था का संकेतक मातृ एवं शिशु मृत्यु दर होता है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए राज्य के डॉक्टरों, नर्सों, जीएनएम और आशा कार्यकर्ताओं की मेहनत की जमकर सराहना की। मंत्री ने कहा कि वर्ष 2005 से पहले राज्य में प्रसव के दौरान प्रति लाख 374 महिलाओं की मृत्यु हो जाती थी। तब राज्य में संस्थागत प्रसव की कोई व्यवस्था नहीं थी। अब राज्य में 74 प्रतिशत प्रसव संस्थागत हो रहे हैं। जिससे जच्चा और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि मातृ मृत्यु दर में राष्ट्रीय औसत प्रति एक लाख प्रसव में 93 महिलाओं की मृत्यु का है। जबकि बिहार को राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने में अब केवल सात अंकों का ही सुधार करना होगा। वर्ष 2030 तक बिहार इस लक्ष्य को भी हासिल कर लेगा।
बिहार ने शिशु मृत्यु दर में राष्ट्रीय औसत की बराबरी कर ली- Minister Mangal Pandey
मंत्री मंगल पांडेय (Minister Mangal Pandey) ने बताया कि इसी तरह, शिशु मृत्युदर में भी सुधार करके स्वास्थ्य सेवाओं में बिहार ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने कहा कि बिहार ने शिशु मृत्युदर में राष्ट्रीय औसत की बराबरी कर ली है। वर्ष 2010 से पहले राज्य में प्रसव के दौरान प्रतिहजार 48 बच्चों की मौत हो जाती थी। लेकिन एसआरएस की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2025 में यह आंकड़ा घटकर केवल 27 हो गया है, जो हमारा राष्ट्रीय औसत के बराबर है। उन्होंने बताया कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में तेजी से सुधार करने के मामले में बिहार का देश में दूसरा स्थान है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में आया यह सुधार कोई दो-चार वर्षों के प्रयास से नहीं संभव नहीं हुआ है, बल्कि हमारी सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर पूरे राज्य में आधारभूत संरचनाओं का निर्माण किया है। राज्य में ऑपरेशन से होने वाले प्रसव की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। इसके लिए सरकार ने न सिर्फ नर्सों के लिए बल्कि आशा कार्यकर्ताओं के लिए भी उच्च स्तरीय प्रशिक्षण की व्यवस्था की है। जन्म के समय बच्चों में पायी जाने वाली बीमारियों के तत्काल इलाज की व्यवस्था सभी सरकारी अस्पतालों में की गई है। सरकारी अस्पतालों में शिशु के लिए आईसीयू की व्यवस्था होने से जन्म के समय बीमार बच्चों का इलाज सहजता से किया जा रहा है।