Edited By Ramanjot, Updated: 09 Dec, 2023 06:04 PM

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने, किसानों को खुशहाल बनाने और ग्रामीण जीवन को सुविधाजनक बनाने की दिशा में राज्य सरकार कोशिश कर रही है। कृषि रोड मैप की वजह से साल 2011-12 में चावल,साल 2012-13 में गेहूं,साल 2015-16 में मक्का,2016-17 में मक्का और...
पटनाः कृषि और ग्रामीण विकास नीतीश सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर रहा है। बिहार की लगभग 89 फीसदी आबादी गांवों में निवास करती है इसलिए ग्रामीण विकास पर नीतीश सरकार का काफी जोर है। बिहार सरकार के सात निश्चय पार्ट टू में ‘हर खेत तक सिंचाई का पानी’ और ‘स्वच्छ गांव-समृद्ध गांव’ को प्राथमिकता दी गई है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने, किसानों को खुशहाल बनाने और ग्रामीण जीवन को सुविधाजनक बनाने की दिशा में राज्य सरकार कोशिश कर रही है। कृषि रोड मैप की वजह से साल 2011-12 में चावल,साल 2012-13 में गेहूं,साल 2015-16 में मक्का,2016-17 में मक्का और 2017-18 में गेहूं के उत्पादन और उत्पादकता में उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए भारत सरकार द्वारा बिहार को कुल पांच कृषि कर्मण पुरस्कार दिया गया है। गुणवत्ता उत्पाद के रूप में पहचान बनाने वाले बिहार के कृषि धरोहरों जैसे कि कतरनी चावल, जर्दालू आम, शाही लीची, मगही पान और मिथिला मखाना को राज्य सरकार के अथक प्रयास से जीआई टैग मिला है। वहीं बिहार सरकार के अथक प्रयासों से अनाज के उत्पादन में भी इजाफा हुआ है। साल 2018 में कुल खाद्यान्न उत्पादन 178.02 लाख MT था जो साल 2022 में बढ़कर 184.86 लाख MT हो गया है।

कृषि रोड मैप से खेती-किसानी को मिली अलग पहचान
कृषि क्षेत्र में तेजी से विकास के लिए नीतीश सरकार ने कृषि रोड मैप लागू किया। साल 2008 में प्रथम कृषि रोड मैप लागू किया गया था। 31 मार्च 2023 तक तीसरे कृषि रोड मैप की अवधि रही। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विजन के मुताबिक बिहार में चौथा कृषि रोड मैप की भी शुरुआत कर दी गई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 18 अक्टूबर, 2023 को पटना में बिहार के चौथे कृषि रोड मैप (2023-2028) का शुभारंभ किया।राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि कृषि बिहार की लोक संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और बिहार की अर्थव्यवस्था का मूल आधार है। कृषि और उससे जुड़ा क्षेत्र न सिर्फ राज्य के लगभग आधे कार्यबल को रोजगार देते हैं, बल्कि राज्य की जीडीपी में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान है, इसलिए कृषि क्षेत्र का सर्वांगीण विकास बहुत जरूरी है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि बिहार सरकार 2008 से कृषि रोड मैप लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन कृषि रोड मैप लागू होने का ही परिणाम है कि राज्य में धान, गेहूं और मक्का की उत्पादकता बढ़कर लगभग दोगुनी हो गई है। मशरूम, शहद, मखाना और मछली के उत्पादन में भी बिहार अन्य राज्यों से काफी आगे हो गया है। उन्होंने कहा कि चौथे कृषि रोड मैप का शुभारंभ वह महत्वपूर्ण कदम है, जिससे इस प्रयास को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि बिहार के किसान खेती में नई तकनीकों और नए प्रयोगों को अपनाने के मामले में बहुत आगे है। यही कारण है कि एक नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री ने नालंदा के किसानों को "वैज्ञानिकों से भी महान" कहा। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि आधुनिक खेती के तरीकों को अपनाने के बावजूद, बिहार के किसानों ने कृषि के पारंपरिक तरीकों और अनाज की किस्मों को संरक्षित रखा है। उन्होंने इसे आधुनिकता के साथ परंपरा के सामंजस्य का अच्छा उदाहरण बताया। राष्ट्रपति यह जानकर बहुत प्रसन्न हुईं कि बिहार की प्रमुख फसल मक्का से इथेनॉल का उत्पादन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह देश की जीवाश्म ईंधन और ऊर्जा सुरक्षा पर निर्भरता कम करने तथा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

कृषि विपणन के विकास के लिए नीतीश सरकार कर रही विशेष प्रयास
चौथे कृषि रोड मैप में दलहन, तिलहन और पोषक अनाज के उत्पादन के लिए विशेष कार्यक्रम चलाया जाएगा। गैर कृषि योग्य बंजर भूमि में लेमन ग्रास की खेती के लिए किसानों की आर्थिक सहायता की जाएगी। गंगा नदी के किनारे बसे जिलों में ऑर्गेनिक कॉरिडोर का विस्तार किया जा रहा है। कृषि विपणन के विकास के लिए नीतीश सरकार विशेष प्रयास कर रही है। बिहार में कृषि विपणन को बढ़ावा देने के लिए सरकारी बाजारों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। बिहार में जैविक खेती के विकास के लिए भी नीतीश सरकार काम कर रही है। बिहार में 92000 एकड़ से अधिक क्षेत्र में जैविक खेती की जा रही है और 13000 एकड़ में टपकन विधि से सिंचाई की जा रही है। जैविक खेती को प्रोत्साहन देने हेतु विशिष्ट उत्पादों को बाजार से जोड़ने हेतु प्रयास किया जा रहा है ताकि किसानों को लागत के अनुरूप कीमत मिल सके। परंपरागत फसलों के अलावा नकदी खेती के क्षेत्र में हल्दी, मिर्च आदि के साथ स्ट्रॉबेरी, शिमला मिर्च, फूलगोभी के नीले और पीले किस्म आदि का उत्पादन अच्छी मात्रा में हो रहा है। इसके साथ-साथ वैकल्पिक फसलों, मौसम अनुकूल खेती और अन्य नई तकनीकों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
बागवानी विकास के क्षेत्र में नीतीश सरकार का प्रयास-
-वर्ष 2022 में बिहार में बागवानी विकास के उद्देश्य से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस,चंडी के द्वारा 9.40 लाख सब्जियों का पौध और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, देसरी के द्वारा 2.30 लाख फलों का पौध किसानों को उपलब्ध कराया गया है। बिहार में बागवानी के विकास के तहत मखाना और शहद के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने की योजना है।
-बिहार मिलेट मिशन- संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया है।राज्य में भी मिलेट फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए बिहार मिलेट मिशन की शुरुआत की जाएगी।राज्य में मोटे अनाजों के उत्पादन का समृद्ध इतिहास रहा है। स्वास्थ्यवर्धक अनाज जैसे मडुआ, कोदो, सांवा, कौनी आदि के उत्पादन पर जोर दिया जाएगा। मक्का उत्पादन में दो बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिल चुका है।
-दलहन एवं तिलहन मिशन- चतुर्थ कृषि रोड मैप में दहलन एवं तेलहन फसलों के विकास पर विशेष जोर दिया जाएगा। इसके लिए राज्य में दलहन एवं तेलहन विकास मिशन की स्थापना की जाएगी। इसके लिए क्षेत्रवार उपयुक्त फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।कृषि के विकास की कल्पना सिंचाई व्यवस्था के बिना नहीं की जा सकती है। सिंचाई के क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का सृजन किया जाएगा और सरकार हर खेत तक सिंचाई का पानी उपलब्ध कराने की योजना पर काम कर रही है।
-कुंडघाट जलाशय योजना- जमुई जिला के सिकंदरा प्रखंड के तहत बहुआर नदी पर सूखाग्रस्त क्षेत्र में सिचाई सुविधा प्रदान करने के मकसद से कुंडघाट जलाशय योजना का निर्माण किया जा रहा है। कुंडघाट जलाशय योजना के निर्माण में 185.21 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।इस योजना के निर्माण से जमुई जिला में कुल 2035 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
-नदी जोड़ो योजना- बिहार सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत कोसी-मेची लिंक योजना पर काम किया जा रहा है। इस योजना के पूरा होने पर कुल 2.14 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जा सकेगी। उत्तर कोयल नहर परियोजना से औरंगाबाद और गया जिले में 95,521 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।इस योजना की लागत 3199.85 करोड़ रुपए है। इस योजना को मार्च,2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। जल संसाधन विभाग द्वारा साल 2022-23 में कुल 156 योजनाओं का क्रियान्वयन कर 45,194 हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया गया है।
-कृषि फीडर के जरिए किसानों को बिजली की समुचित सप्लाई सुनिश्चित की जा रही है। इसके लिए 7488 करोड़ रुपए की लागत से 291 बिजली उपकेंद्र और कृषि कार्य हेतु 1354 फीडरों का निर्माण किया गया है। मुख्यमंत्री कृषि विद्युत संबंध योजना- बिहार के सभी जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कार्य के लिए बिजली की सप्लाई मुहैया कराने के लिए 1329 करोड़ रुपए की लागत से ये योजना लागू की गई है। अब तक लगभग 3.54 लाख कृषि विधुत कनेक्शन दिए जा चुके हैं। इसके अलावा मात्र 70 पैसे प्रति यूनिट की दर पर किसानों को बिजली मुहैया कराई जा रही है।
-मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में किसानों की हालत सुधारने के लिए काम कर रहे हैं। चालू सीजन में बिहार सरकार किसानों से सामान्य श्रेणी के धान 2,183 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदेगी। चालू वर्ष के लिए बिहार सरकार ने धान खरीद का लक्ष्य 45 लाख मीट्रिक टन रखा है।साफ है कि नीतीश सरकार किसानों की आमदनी को बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है।आने वाले वर्षों में सरकार के प्रयासों से किसानों की आमदनी का स्तर भी बढ़ेगा।