Edited By Ramanjot, Updated: 02 Feb, 2021 01:48 PM
केंद्रीय बजट को लेकर महागठबंधन के घटक भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) ने कहा कि इस बजट में खतरनाक रूप से नीचे गिर रही अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में कोई कोशिश नहीं की गई है। अर्थव्यवस्था में सरकारी निवेश और...
पटनाः बिहार में तमाम विपक्षी पार्टियां और नेता संसद में पेश केंद्रीय बजट से खफा नजर आ रहे हैं। महागठबंधन के घटक दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इसी बीच भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था का बोझ जनता के कंधों पर डाल दिया गया है।
दीपंकर भट्टाचार्य ने कि कोविड महामारी के बाद आए मोदी सरकार के पहले बजट में खतरनाक रूप से नीचे गिर रही अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में कोई कोशिश नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि बजट में इसमें नौकरियां खो चुके और आय एवं जीवनयापन के स्तर में भारी गिरावट से परेशान लोगों के लिए कोई तात्कालिक राहत भी नहीं दी गई है, उल्टे इसमें संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था के बोझ को जनता के कंधों पर डाल बड़े कॉरपोरेटों के लिए अकूत सम्पत्ति जमा करने के और अवसर बना दिए गए हैं।
भट्टाचार्य ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सरकारी निवेश और खर्च बढ़ाने की सख्त जरूरत है लेकिन यह बजट थोक के भाव में विनिवेश और निजीकरण की दिशा में केन्द्रित है। रोजगार सृजन, आय में बढ़ोतरी और आम आदमी की क्रय शक्ति में इजाफा करने की दिशा में इस बजट को केंद्रित होना चाहिए था लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि देश के 100 सर्वाधिक धनी अरबपतियों की संपत्तियों में महामारी और लॉकडाउन के दौरान भारी बढ़ोतरी हो गई (लगभग 13 लाख करोड़) लेकिन बजट इस संपत्ति को वैसे ही छोड़ दे रहा है, इस पर वैल्थ टैक्स या ट्रांजेक्शन टैक्स क्यों नहीं लगाया जा सकता था।