बिहार में अतिथि शिक्षकों की सेवा 60 साल तक नियमित करे सरकार, अतिथि शिक्षक संघ ने की मांग

Edited By Ramanjot, Updated: 12 Aug, 2023 05:39 PM

guest teachers association demanded

ब्रजेश दत्त ने बताया कि जून माह में सभी अतिथि शिक्षकों का मानदेय मात्र 3000 रुपए ही बना है क्योंकि विद्यालय कार्यदिवस के आधार पर ही दिहाड़ी मजदूर की तरह उनका मानदेय प्रत्येक कार्यदिवस को मात्र 1000 रु ही है, इतना मानदेय जिले में बढ़ई, पेंटर,प्लम्बर...

बक्सर: उच्चतर माध्यमिक अतिथि शिक्षक संघ ने राज्य में प्लस टू विद्यालयों में कार्यरत सभी अतिथि शिक्षकों को हर माह नियत मानदेय पर नियमित करने की मांग की है। अतिथि शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष ब्रजेश दत्त पांडेय ने कहा कि राज्य में करीब चार हजार अतिथि शिक्षक पांच साल से प्लस टू विद्यालयों में अपनी सेवा दे रहे हैं और उनके मानदेय में एक पैसा की बढ़ोतरी नहीं हुई हैं। उन्होंने कहा कि आधे से अधिक अतिथि शिक्षक महिला हैं और उनका मानदेय दिहाड़ी मजदूर से भी कम है।

ब्रजेश दत्त ने बताया कि जून माह में सभी अतिथि शिक्षकों का मानदेय मात्र 3000 रुपए ही बना है क्योंकि विद्यालय कार्यदिवस के आधार पर ही दिहाड़ी मजदूर की तरह उनका मानदेय प्रत्येक कार्यदिवस को मात्र 1000 रु ही है, इतना मानदेय जिले में बढ़ई, पेंटर,प्लम्बर आदि पा रहे है और रोज कमा रहे है। अतिथि शिक्षकों को विद्यालय में कक्षा लेने पर ही मानदेय मिलेगा, भले ही वे स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को विद्यालय जाएंगे लेकिन उस दिन का मानदेय नहीं मिलेगा। उन्होंने दावा किया कि अतिथि शिक्षकों की सेवा से विद्यालयों में शिक्षा का नाम गुणात्मक सुधार आया है और परिणाम भी उत्साहवर्धक हैं। अतिथि शिक्षकों की सेवा चुनाव, मतगणना आदि में राज्यकर्मियों की तरह ली जाती रही हैं इसलिए सभी अतिथि शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देते हुए सेवा नियमित की जाए। 

पांडेय ने बताया कि राज्य में आधे से अधिक महिला ही अतिथि शिक्षकों के रूप में कार्यरत हैं और उन्हें किसी प्रकार की अवकाश देय नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सभी अतिथि शिक्षक स्नातकोत्तर डिग्री एवं बी एड डिग्री हासिल कर विद्यालयों में अपनी सेवा दे रहे हैं और एन सी टी ई के प्रावधानों के अनुसार प्लस टू विद्यालयों में नियमित सेवा के लिए अर्ह है। पांडेय ने बताया कि अतिथि शिक्षकों का मानदेय न्यूनतम मजदूरी से भी कम है अत: उन्होंने राज्य सरकार से मानदेय बढ़ाने, मासिक वेतन तय करने और सेवा 60 साल तक नियमित करने की मांग की है। 

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