Edited By Ramanjot, Updated: 27 Aug, 2023 11:05 AM

न्यायमूर्ति पी. बी. बजंथरी और न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार की खंडपीठ ने इस महीने की शुरुआत में पारित फैसले में निशा गुप्ता की याचिका स्वीकार कर ली। इससे संबंधित आदेश शुक्रवार को वेबसाइट पर अपलोड किया गया था। महिला ने नालंदा जिले में पारिवारिक अदालत की...
पटना: पटना उच्च न्यायालय ने स्थानीय ‘आरएसएस कार्यालय' में रहने वाले एक व्यक्ति के पक्ष में निचली अदालत की ओर से दिए गए तलाक को निरस्त कर दिया। व्यक्ति अपनी पत्नी को छोड़कर आरएसएस कार्यालय में रहता था। उस व्यक्ति ने अपनी पत्नी पर क्रूरता का आरोप लगाया था।
महिला ने पारिवारिक अदालत के आदेश को दी चुनौती
न्यायमूर्ति पी. बी. बजंथरी और न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार की खंडपीठ ने इस महीने की शुरुआत में पारित फैसले में निशा गुप्ता की याचिका स्वीकार कर ली। इससे संबंधित आदेश शुक्रवार को वेबसाइट पर अपलोड किया गया था। महिला ने नालंदा जिले में पारिवारिक अदालत की ओर से सात अक्टूबर 2017 को जारी आदेश को चुनौती थी। पीठ का मानना था कि उनके पति उदय चंद गुप्ता को दिया गया तलाक ‘कानून की नजर में टिकाऊ नहीं था', क्योंकि पति इस क्रूरता का आधार साबित करने में विफल रहा। उदय और निशा की शादी 1987 में हुई थी और उनसे दो बेटों का जन्म हुआ।
पति के प्रति कोई क्रूरता नहीं की गई: कोर्ट
अदालत ने 47 पन्नों के फैसले में यह टिप्पणी की, ‘‘दोनों पक्षों के वैवाहिक जीवन में सामान्य उठापटक हो सकती है, लेकिन निश्चित रूप से अपीलकर्ता/पत्नी द्वारा प्रतिवादी/पति के प्रति कोई क्रूरता नहीं की गई है। वास्तव में, क्रूरता दूसरे तरीके से की गई प्रतीत होती है।'' अदालत ने कहा कि पत्नी अब भी अपने बच्चों के साथ ससुराल में रह रही है, जबकि उसके पति ने घर छोड़ दिया है और आरएसएस कार्यालय में रह रहा है। अदालत ने कहा कि पति के इस आरोप को साबित करने के लिए "कोई ठोस सबूत नहीं" था कि पत्नी उसके खिलाफ झूठे आपराधिक मामले दर्ज करने की धमकी देती थी, लेकिन "सबूत के अनुसार" प्रतिवादी अपनी पत्नी को उस वक्त पीटता था, जब वह पति के अवैध संबंध का विरोध करती थी।
‘‘पति ने ही पत्नी में रुचि लेना बंद कर दिया‘‘
अदालत ने कहा कि उनके बेटे ने अपनी गवाही के दौरान पुष्टि की थी कि "उसके पिता उसकी मां को मारते-पीटते थे" और यहां तक कि उसे बिजली के झटके भी देते थे। बहरहाल, अदालत ने कहा, ‘‘पत्नी हमेशा कहती रही है कि वह अपने पति के साथ रहना चाहती है और जब भी वह घर आते हैं तो उसने हमेशा उनका स्वागत किया है और उसने कभी भी उनके साथ रहने से इनकार नहीं किया है।'' अदालत ने कहा, ‘‘पति ने ही उसमें (पत्नी में) रुचि लेना बंद कर दिया है और वह साथ रहने का प्रयास नहीं कर है, क्योंकि वह अलग रह रहा है।'' तलाक की याचिका पर दिए गए फैसले को रद्द करते हुए अदालत ने कहा कि "दोनों पक्ष अपनी लागत स्वयं वहन करेंगे" और रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वह "इस फैसले की एक प्रति परिवार न्यायालयों के सभी पीठासीन अधिकारियों के बीच भेजें और एक प्रति बिहार न्यायिक अकादमी के निदेशक को भेजें।''