Edited By Ramanjot, Updated: 16 Nov, 2020 10:46 AM
बिहार विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के मात्र एक सीट जीतने के बाद उसकी संभावनाओं को लेकर उठ रहे सवालों के बीच पार्टी सूत्रों ने रविवार को 40 से अधिक सीटों पर चुनाव परिणामों के ‘बदलने'' में पार्टी का ‘प्रभाव'' होने की बात कही। इस तरह से लोजपा...
नई दिल्ली/पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के मात्र एक सीट जीतने के बाद उसकी संभावनाओं को लेकर उठ रहे सवालों के बीच पार्टी सूत्रों ने रविवार को 40 से अधिक सीटों पर चुनाव परिणामों के ‘बदलने' में पार्टी का ‘प्रभाव' होने की बात कही। इस तरह से लोजपा ने इस बात पर जोर दिया है कि राज्य की सियासत में उसकी मौजूदगी अहम रहेगी।
सूत्रों ने दावा किया कि राज्य में कम से कम 36 सीटों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत जनता दल (यू) की हार में लोजपा की अहम भूमिका रही जो पार्टी के वोट प्रतिशत से साफ है। पार्टी सूत्रों के अनुसार अगर उसने इसी तरह से पूरी तरह भाजपा के खिलाफ भी सक्रियता दिखाई होती तो उसे भी नुकसान होता। पार्टी सूत्रों ने कहा कि पार्टी भले ही एक सीट जीती हो, लेकिन उसने 5.7 प्रतिशत वोट प्राप्त करके अपनी मौजूदगी साबित की है।
लोजपा सूत्रों ने कहा कि लोजपा ने ऐसी केवल छह सीटों पर उम्मीदवार उतारे जहां भाजपा प्रत्याशी मैदान में थे, जबकि उन सभी 115 सीटों पर उसने उम्मीदवार खड़े किए जहां जदयू ने अपने प्रत्याशी उतारे थे। उन्होंने कहा कि लोजपा को चुनाव में केवल 15 सीटें लड़ने की पेशकश की गई थी, इसलिए उसके पास अपने दम पर चुनाव में उतरने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। हालांकि लोजपा को सीटों की पेशकश के बारे में भाजपा या चिराग पासवान की पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
लोजपा सूत्रों ने कहा कि छह लोकसभा सदस्यों और एक राज्यसभा सदस्य होने के बाद रामविलास पासवान द्वारा स्थापित यह पार्टी केवल 15 विधानसभा सीटें स्वीकार नहीं कर सकती थी। लोजपा के एक नेता ने कहा, ‘‘हमारे पास या तो विपक्ष के खेमे में जाने का विकल्प था या जदयू द्वारा लड़ी जा रही सीटों को ध्यान में रखते हुए अपने दम पर चुनाव में लड़ने का विकल्प था। जदयू की अनिच्छा के कारण ही लोजपा को बहुत कम सीटों की पेशकश की गई।'' लोजपा ने कहा कि उसने इस मकसद से भी यह फैसला किया था कि भाजपा को कम से कम नुकसान हो।