"PMO के निर्देश पर जाति सर्वेक्षण को रोकने का किया जा रहा प्रयास", राजद सांसद मनोज झा का आरोप

Edited By Ramanjot, Updated: 29 Aug, 2023 04:21 PM

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मनोज झा ने एक वीडियो में कहा, ‘‘पीएमओ के निर्देश पर जाति सर्वेक्षण को रोकने का प्रयास किया जा रहा है जो बिहार में लगभग पूरा हो चुका है। इससे पता चलता है कि भाजपा और संघ समाज के इतने बड़े वर्ग को उनके अधिकारों से वंचित करना चाहते हैं। यह उनकी...

नई दिल्ली/पटनाः राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने मंगलवार को केंद्र पर बिहार में जाति सर्वेक्षण को रोकने का प्रयास करने और समाज के एक बड़े वर्ग को उसके अधिकारों से ‘वंचित' करने का आरोप लगाया। राजद सांसद और पार्टी प्रवक्ता मनोज झा ने दावा किया कि इस मामले पर अदालत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की उपस्थिति से पता चलता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) जाति सर्वेक्षण को अवरुद्ध करने के प्रयास में सीधे तौर पर शामिल है। 

मनोज झा ने एक वीडियो में कहा, ‘‘पीएमओ के निर्देश पर जाति सर्वेक्षण को रोकने का प्रयास किया जा रहा है जो बिहार में लगभग पूरा हो चुका है। इससे पता चलता है कि भाजपा और संघ समाज के इतने बड़े वर्ग को उनके अधिकारों से वंचित करना चाहते हैं। यह उनकी प्राथमिकता है।'' उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब एक दिन पहले ही केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा था कि संबंधित कानून के तहत जनगणना कराने का अधिकार केवल उसके पास है क्योंकि यह विषय संविधान की संघ सूची के तहत आता है। 

"जाति सर्वेक्षण को रोकने में पीएमओ सीधे तौर पर शामिल" 
झा ने कहा, ‘‘तुषार मेहता की मौजूदगी साफ तौर पर दिखाती है कि जाति सर्वेक्षण को रोकने में पीएमओ सीधे तौर पर शामिल है। हलफनामे में पांचवां बिंदु कहता है कि ‘जनगणना और जनगणना जैसी कोई भी चीज', जो दर्शाता है कि सर्वेक्षण को भी अवरुद्ध करने का प्रयास किया जा रहा है। जब हो-हल्ला मचाया गया तो उन्होंने कहा कि यह अनजाने में हुई गलती है।'' उन्होंने कहा कि यह ‘अनजाने' में नहीं हुआ, बल्कि सर्वेक्षण को रोकने के लिए ‘जानबूझकर' किया गया है। राजद नेता ने कहा, ‘‘आप (केंद्र) समाज के इतने बड़े वर्ग को उसके अधिकारों से वंचित कर एक ज्वालामुखी को न्यौत रहे हैं। यह सब करके आप बेनकाब हो रहे हैं। आप जाति सर्वेक्षण को रोक नहीं सकते।'' 

जाति सर्वेक्षण को लेकर केंद्र ने दिया ये हलफनामा
बिहार में जाति सर्वेक्षण को मंजूरी देने के पटना उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संबंध में दायर हलफनामे में केंद्र ने कहा कि केंद्र सरकार संविधान के प्रावधानों और लागू कानून के अनुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, एसईबीसी (सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े) और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के उत्थान के लिए सभी सकारात्मक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। 

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