Edited By Ramanjot, Updated: 19 Sep, 2024 01:24 PM
संजय झा ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म "एक्स" पर लिखा, "हमें खुशी है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के संबंध में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी की अगुवाई वाली उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। बिहार के माननीय...
पटनाः केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘एक देश-एक चुनाव' के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने पर जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने खुशी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी और हमारी पार्टी जदयू का मानना है कि सुशासन की संरचना को मजबूत करने की दिशा में 'एक देश एक चुनाव' एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
संजय झा ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म "एक्स" पर लिखा, "हमें खुशी है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के संबंध में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी की अगुवाई वाली उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। बिहार के माननीय मुख्यमंत्री सह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष Nitish Kumar जी शुरू से ही 'एक देश एक चुनाव' की नीति के समर्थक रहे हैं। हमने इस साल 17 फरवरी को दिल्ली में पार्टी के नेता राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के साथ पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति से मुलाकात की थी और 'One Nation one Election' के संदर्भ में जनता दल (यूनाइटेड) के नजरिये से संबंधित आधिकारिक ज्ञापन सौंपा था। उसमें बताया गया था कि बिहार के माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी और हमारी पार्टी जदयू का मानना है कि सुशासन की संरचना को मजबूत करने की दिशा में 'एक देश एक चुनाव' एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
संजय झा ने आगे लिखा कि इससे पहले वर्ष 2018 में भी भारत के विधि आयोग द्वारा आमंत्रित सुझावों के जवाब में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी और जदयू ने लोकसभा तथा विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की नीति को अपना समर्थन दिया था। भारत के विधि आयोग ने निर्वाचन विधियों में सुधार से संबंधित अपनी रिपोर्ट में 'वन नेशन वन इलेक्शन' की सिफारिश की थी, जिस पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति विचार कर रही थी। जदयू ने इस संदर्भ में देशभर में सीआईआई, फिक्की, एसोचैम सहित विभिन्न औद्योगिक, नागरिक एवं अन्य संगठनों के साथ हुए विमर्श में उभरी राय पर गंभीरता से विचार किया। साथ ही, भारत में एक साथ चुनाव कराने के इतिहास को भी ध्यान में रखा।
राज्यसभा सांसद ने लिखा कि वर्ष 1947 में आजादी मिलने के बाद से लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव अधिकतर एक साथ आयोजित हुए थे, लेकिन 1960 के दशक के अंतिम वर्षों से एक साथ चुनाव का सिलसिला विभिन्न कारणों से बाधित हो गया। विधि आयोग की रिपोर्ट और इससे संबंधित तमाम तथ्यों तथा बहसों पर गंभीरता से विचार करते हुए जदयू ने लोकसभा और राज्य विधानमंडल के चुनाव एक साथ कराने, जबकि पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनाव एक साथ कराने, लेकिन संसदीय चुनाव और पंचायती राज के चुनाव अलग-अलग कराने के पक्ष में अपना समर्थन व्यक्त किया था।