Edited By Nitika, Updated: 25 Aug, 2021 01:44 PM
जातीय जनगणना के मुद्दे पर शिष्टमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट करके दिल्ली से लौटे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को कहा, ‘हम समझते हैं कि केंद्र सरकार इस पर जरुर गंभीरता से विचार करेगी।''
पटनाः जातीय जनगणना के मुद्दे पर शिष्टमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट करके दिल्ली से लौटे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को कहा, ‘हम समझते हैं कि केंद्र सरकार इस पर जरुर गंभीरता से विचार करेगी।'
पटना हवाईअड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में नीतीश ने कहा, ‘‘जातीय जनगणना कराने के मुद्दे पर कल हमलोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। मेरे नेतृत्व में 10 पार्टियों के प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की।'' उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के साथ प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात करीब 40-45 मिनट चली, जिसमें सभी पार्टियों के प्रतिनिधियों ने अपनी-अपनी बात रखी। सभी नेताओं ने कहा कि जातीय जनगणना होनी चाहिए क्योंकि इसके बहुत लाभ हैं और यह सभी के हित में है। प्रधानमंत्री ने सबकी बातें ध्यान से सुनीं। हमने अपनी बात रखी है और अब फैसला प्रधानमंत्री को करना है।''
नीतीश ने कहा कि जातीय जनगणना के संबंध में 2019 में बिहार विधानसभा और विधानपरिषद् द्वारा तथा 2020 में विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित प्रस्तावों को पहले ही पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेजा जा चुका है। जातीय जनगणना के मुद्दे पर बिहार के सभी दल एकजुट हैं। विधानमंडल में इस संबंध में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया था और प्रधानमंत्री से मिलने भी सभी 10 दलों के प्रतिनिधि एक साथ गए थे।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘देश में आखिरी बार अंग्रेजों के जमाने में 1931 में जातीय जनगणना हुई थी और अभी तक उसे ही आधार माना जा रहा है, जो उचित नहीं है। एक बार फिर से जातीय जनगणना जरूर करानी चाहिए। इससे सभी को लाभ होगा और सरकार को भी पूरी जानकारी मिलेगी कि किस जाति समूह की जनसंख्या कितनी है और उनके कल्याण के लिए क्या करना चाहिए।'' उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना की मांग सिर्फ बिहार से नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों से भी उठ रही है।