Edited By Khushi, Updated: 18 Oct, 2024 12:11 PM
झारखंड उच्च न्यायालय ने बीते गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो की सदस्यता को चुनौती देने वाली चुनाव याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। यह याचिका उनके प्रतिद्वंद्वी संतोष हेम्ब्रम ने दायर की थी।
रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने बीते गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो की सदस्यता को चुनौती देने वाली चुनाव याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। यह याचिका उनके प्रतिद्वंद्वी संतोष हेम्ब्रम ने दायर की थी।
हेम्ब्रम ने दलील दी कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के महतो को गलत तरीके से निर्वाचित किया गया है और उन्होंने विधानसभा से उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की है। हेम्ब्रम ने आरोप लगाया कि महतो ने 2019 के चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) की शर्तों का उल्लंघन किया। महतो ने यह भी दावा किया कि महतो ने उनके खिलाफ अपमानजनक और मानहानिकारक बयान दिए, जिसकी वजह से उनकी चुनावी हार हुई। इसके अलावा, हेम्ब्रम ने दावा किया कि महतो ने उनके बारे में हानिकारक टिप्पणियों वाले पर्चे प्रकाशित किए। हेम्ब्रम ने हालांकि इन मुद्दों की जानकारी निर्वाचन अधिकारी को दी, लेकिन कथित तौर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके कारण उन्हें उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा। पिछली सुनवाई में हेम्ब्रम ने महतो के खिलाफ उनके दावों को पुख्ता करने के लिए तीन गवाह पेश किए थे। इसके विपरीत, महतो ने आरोपों का खंडन किया और अपने बचाव के लिए 12 गवाह पेश किए, जिसमें उन्होंने हेम्ब्रम द्वारा उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने के प्रयासों का विरोध किया।
रवींद्र नाथ महतो ने 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सत्यानंद झा के खिलाफ 3,520 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने वाले हेम्ब्रम को 1,769 वोट मिले थे।