Edited By Khushi, Updated: 25 May, 2025 10:20 AM

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बीते शनिवार को कोयला धारक क्षेत्र (अधिग्रहण एवं विकास) अधिनियम में एक प्रावधान करने का आह्वान किया, जिसके तहत कंपनियों को खनन गतिविधियों के बाद राज्य सरकार को जमीन वापस करनी होगी। इस अधिनियम को आमतौर पर...
रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बीते शनिवार को कोयला धारक क्षेत्र (अधिग्रहण एवं विकास) अधिनियम में एक प्रावधान करने का आह्वान किया, जिसके तहत कंपनियों को खनन गतिविधियों के बाद राज्य सरकार को जमीन वापस करनी होगी। इस अधिनियम को आमतौर पर सीबीए अधिनियम के रूप में जाना जाता है।
नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री सोरेन ने 1.40 लाख करोड़ रुपये जारी करने की भी मांग की जो कथित रूप से खनन कंपनियों पर बकाया है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, सोरेन ने कहा, ‘‘खनन कंपनियों द्वारा अधिग्रहित भूमि ऐसी भूमि के अंतर्गत आती है जिसका मुआवजा नहीं किया गया है। इसके कारण राज्य सरकार पर 1,40,435 करोड़ रुपये का बकाया कर्ज हो गया है। इस राशि का जल्द से जल्द भुगतान किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, सीबीए अधिनियम में संशोधन करके कंपनियों को खनन के बाद राज्य सरकार को भूमि वापस करने का प्रावधान किया जाना चाहिए।"
सोरेन ने कहा कि झारखंड में कोयला आधारित मीथेन गैस प्रचुर मात्रा में है, जिसका तकनीकी रूप से ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "राज्य में खनन कंपनियों के लिए बिजली संयंत्र स्थापित करने को अनिवार्य किया जाना चाहिए, जिसमें कुल उत्पादन का 30 प्रतिशत राज्य के भीतर उपयोग किया जाए। इससे रोजगार सृजन को भी बढ़ावा मिलेगा।'' मुख्यमंत्री ने यह भी आग्रह किया कि पूर्वोत्तर राज्यों को दी जाने वाली विशेष सहायता झारखंड को भी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि विकसित राज्यों और गांवों के माध्यम से ही 'विकसित भारत' की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है। सोरेन ने कहा कि झारखंड सरकार महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए लगभग 50 लाख महिलाओं को 2,500 रुपये की मासिक वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।