Edited By Khushi, Updated: 01 Apr, 2023 11:51 AM

झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि झारखंड राज्य के कई अनुसूचित जनजाति जैसे कि भुईहर मुण्डा, लोहरा- लोहरा, करमाली, खूंटकटी मुण्डा, कम्पाट मुण्डा, चीक बडाईक जैसे जनजातीय समुदाय को खतियान में हुई लिपिकीय त्रुटि
रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि झारखंड राज्य के कई अनुसूचित जनजाति जैसे कि भुईहर मुण्डा, लोहरा- लोहरा, करमाली, खूंटकटी मुण्डा, कम्पाट मुण्डा, चीक बडाईक जैसे जनजातीय समुदाय को खतियान में हुई लिपिकीय त्रुटि एवं अधिकारियों की असंवेदनशीलता के कारण जनजातीय समुदाय को जाति प्रमाण पत्र बनाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें उनका संवैधानिक अधिकार नहीं मिल पा रहा हैं।
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तिर्की ने कांग्रेस भवन रांची में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ताजा मामला मुण्डा जनजाति की पहली उपजाति भुईहर मुण्डा से जुड़ा है। केन्द्र सरकार की जनजातियों मामले से संबंधित मंत्रालय के सम्बद्ध अधिकारियों के कुछेक असंमजस, संवादहीनता या फिर त्रुटिपूर्ण प्रतिवेदन के कारण मुण्डा जनजाति की उपजाति भुंईहर मुण्डा एवं भुंईहर को अगडी जाति में शामिल कर लिया गया और उसे बिहार की भूमिहार ब्राह्मण जाति से जोड़ कर देखा जाने लगा जो कि असंगत एवं गलत होने के साथ ही व्यवहारिक एवं तथ्यात्मक द्दष्टिकोण से भी उपेक्षापूर्ण स्थिति में है।
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तिर्की ने कहा कि इस जनजाति के 3 लाख से ज्यादा लोग विशेष कर सिमडेगा, गुमला, लातेहार, गढ़वा और पलामू जिले में निवास करते हैं, लेकिन झारखंड में अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल नहीं होने के कारण भुईहर मुण्डा एवं भुईहर समाज के लोगों की पहचान धीरे -धीरे लुप्त होती जा रही है। अब ये लोग सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी बहुत ही उपेक्षापूर्ण स्थिति में हैं। दिलचस्प बात ये है कि सिमडेगा में भुईहर मुण्डा और भुईहर जनजाति के लोग ही पाहन हैं और उनकी जमीन भुईहरी जमीन के रूप में जानी जाती हैं पर ये अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं है।