Edited By Nitika, Updated: 02 Sep, 2020 01:34 PM
बिहार में विरोधियों को मात देने के लिए बीजेपी ने अपने सांसदों को अहम जिम्मेदारी सौंपी है। बीजेपी ने सांसदों को अपने क्षेत्र में लोगों के बीच रहकर उनके लिए काम करने का निर्देश दिया है।
पटनाः बिहार में विरोधियों को मात देने के लिए बीजेपी ने अपने सांसदों को अहम जिम्मेदारी सौंपी है। बीजेपी ने सांसदों को अपने क्षेत्र में लोगों के बीच रहकर उनके लिए काम करने का निर्देश दिया है। विधानसभा चुनाव से पहले अश्विनी चौबे, नित्यानंद राय, गिरिराज सिंह और आरके सिंह को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। बीजेपी ने अपने सांसदों को जनता का मूड भांपने का गुरू मंत्र दिया है।
केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय को अलग-अलग जातियों और धार्मिक समूहों से मिलने का निर्देश दिया गया है। इससे केंद्रीय नेतृत्व को बिहार की अलग-अलग जातिय समूहों की अपेक्षाओं और मांगों के बारे में पता चलेगा। हो सकता है इन मांगों को पार्टी के मैनिफेस्टो में एडजस्ट किया जाए। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने मंत्रियों और सांसदों को विधानसभा चुनाव तक बिहार में ही टिके रहने का निर्देश दिया है। साथ ही बिना आदेश के बिहार से बाहर जाने से भी इन मंत्रियों और सांसदों को मना कर दिया है। बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व झारखंड में मिली हार के बाद से फूंक फूंक कर रणनीति बना रही है। केंद्रीय नेतृत्व को लग रहा है कि चुनावी अभियान में बिहार के सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों से भी जोड़ने से। जमीनी हकीकत का पता दिल्ली तक सही समय पर आएगा। साथ ही बीजेपी के सांसद भी पूरे चुनावी मिशन में खुद को जोड़ पाएंगे। एक तरह से ये कहा जा सकता है कि झारखंड में मिली हार से बीजेपी ने एक बड़ा सबक सिखा है।
अब पार्टी के राज्य स्तर के नेताओं के इनपुट के साथ ही सांसदों की राय को मिलाकर ही कोई अंतिम रणनीति तैयार की जाएगी। दरअसल झारखंड में बीजेपी के राज्य स्तर के नेताओं के इनपुट के आधार पर ही सुदेश महतो को दरकिनार कर दिय़ा गया था। नतीजा ये हुआ कि महागठबंधन ने वोटों के बिखरने का लाभ उठाकर कई सीटों को अपने पाले में कर लिया। इसलिए अब बीजेपी राज्य स्तर के नेताओं के अलावा सांसदों को भी निर्णय प्रक्रिया में शामिल कर रही है।