Bihar Elections 2025: बिहार चुनाव में महागठबंधन जीता तो कौन होगा मुख्यमंत्री?, दीपांकर भट्टाचार्य ने बताया सबकुछ

Edited By Swati Sharma, Updated: 19 Jun, 2025 01:03 PM

dipankar bhattacharya s big statement on tejashwi s cm face

Bihar Politics: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य (Dipankar Bhattacharya) ने बुधवार को कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) में 'महागठबंधन' की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा राष्ट्रीय जनता दल (RJD)...

Bihar Politics: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य (Dipankar Bhattacharya) ने बुधवार को कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) में 'महागठबंधन' की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) हैं और उनका नाम "घोषित या अघोषित" होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने यह भी कहा कि इसमें कोई असमंजस नहीं होना चाहिए कि 'महागठबंधन' के चुनाव जीतने पर मुख्यमंत्री तेजस्वी होंगे।

"इस बार 40-45 विधानसभा सीटों पर जमीनी स्तर की तैयारी कर रही माले"
दीपांकर भट्टाचार्य (Dipankar Bhattacharya) ने अपनी पार्टी के लिए पिछली बार से अधिक सीटों की परोक्ष रूप से दावेदारी करते हुए कहा कि भाकपा (माले) लिबरेशन इस बार 40-45 विधानसभा सीटों पर जमीनी स्तर की तैयारी कर रही है। बिहार विधानसभा चुनाव इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने की संभावना है। पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के घटक दलों में सबसे अच्छी सफलता दर भाकपा (माले) लिबरेशन की थी। वह 19 सीट पर चुनाव लड़ी थी और 12 पर जीत हासिल की थी यानी उसे 63 प्रतिशत सीटों पर कामयाबी मिली। महागठबंधन के सबसे बड़े घटक राजद ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 52 प्रतिशत की सफलता दर से 75 सीटें हासिल की थी। कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन उसे 27 प्रतिशत सीटों पर ही सफलता मिली थी और सिर्फ 19 सीटें जीती थीं।

बिहार में ‘इंडिया' गठबंधन (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के घटक दलों के गठजोड़ को महागठबंधन के नाम से जाना जाता है। इस गठबंधन में वाम दलों के साथ ही राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) शामिल हैं। यह पूछे जाने पर कि भाकपा (माले) लिबरेशन कितनी सीट पर चुनाव लड़ेगी तो भट्टाचार्य ने कहा, "पिछले विधानसभा चुनाव से यह धारणा है कि यदि माले को अधिक सीटें चुनाव लड़ने के लिए मिली होतीं तो हम लोग सत्ता में होते। कांग्रेस को लड़ने के लिए 70 सीटें मिली थीं, लेकिन उसने 19 जीतीं। हमें 19 सीटें मिली थीं हमने 12 जीतीं। लोकसभा चुनाव में हमें तीन सीटें मिलीं और हम दो जीते।" उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में जिन क्षेत्रों में माले मजबूती से चुनाव लड़ी और जीती, उन्ही क्षेत्रों में राजद और कांग्रेस का प्रदर्शन भी सबसे अच्छा था। उनके अनुसार, "पिछली बार हम सिर्फ 12 जिलों में लड़े थे। हमारा मानना है कि अब 24- 25 जिलों में माले की बहुत मजबूत उपस्थिति है, जहां हमारे लड़ने से नतीजों में फर्क पड़ जाएगा। हम उम्मीद करते हैं कि इस बार माले को बड़े स्तर पर चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा।"

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन के महासचिव ने इस बात पर जोर दिया कि जब जनाधार वाले जिलों की संख्या बढ़ेगी तो सीटों की संख्या भी बढ़नी चाहिए। भट्टाचार्य ने कहा, "बिहार में विधानसभा की 243 सीटें हैं और सभी सीटों पर तैयारी है, लेकिन हमारी खास तौर पर जमीनी तैयारी चल रही है। " यह पूछे जाने पर कि क्या वह कांग्रेस के बराबर सीटों की उम्मीद करते हैं तो उन्होंने कहा, "सब लोगों को पता है कि बिहार में कांग्रेस की वैसी कोई जमीनी स्थिति नहीं है, लेकिन कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है और देश का मुख्य विपक्षी दल है। कांग्रेस की पहचान अलग धरातल पर है। माले की पहचान बिहार में जमीनी स्तर के संगठन की है। हम चाहते हैं कि महागठबंधन के सभी दलों के मजबूत पक्ष का सदुपयोग किया जाए।"
 

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