विपक्षी एकता अभियान को चुनावी लाभ तभी मिलेगा, जब कोई आकर्षक मुद्दा लाया जाएगा: प्रशांत किशोर

Edited By Nitika, Updated: 05 Jul, 2023 04:50 PM

statement of prashant kishore

राजनीतिक रणनीतिकार से सामाजिक कार्यकर्ता बने प्रशांत किशोर ने कहा कि विपक्षी एकता अभियान को चुनावी लाभ तभी मिलेगा जब वह जनता को आकर्षित करने के लिए किसी मुद्दे के साथ आएंगे और केवल ‘अंकगणित' पर निर्भर नहीं रहेंगे।

 

पटनाः राजनीतिक रणनीतिकार से सामाजिक कार्यकर्ता बने प्रशांत किशोर ने कहा कि विपक्षी एकता अभियान को चुनावी लाभ तभी मिलेगा जब वह जनता को आकर्षित करने के लिए किसी मुद्दे के साथ आएंगे और केवल ‘अंकगणित' पर निर्भर नहीं रहेंगे। बिहार के समस्तीपुर जिले में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में विभाजन और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ सीबीआई के आरोप पत्र को ज्यादा राजनीतिक महत्व नहीं दिया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 23 जून को आयोजित विपक्षी दलों की बैठक के बारे में पूछे जाने पर किशोर ने कहा, ‘‘एक संयुक्त विपक्ष तभी कारगर हो सकता है जब वह शासन के खिलाफ कोई मुद्दा पैदा करने में सफल हो। जनता पार्टी का प्रयोग आपातकाल और जयप्रकाश नारायण के जन आंदोलन के बाद हुआ। वीपी सिंह के समय में भी, बोफोर्स घोटाले ने लोगों का ध्यान खींचा था।'' उन्होंने कहा, ‘‘चुनावों में सफलता के लिए एक चेहरा होना अपरिहार्य नहीं है। केवल राजनीतिक अंकगणित से, जिसमें कोई मुद्दा नहीं हो, लोगों को आकर्षित करने की संभावना नहीं दिखती है।''

किशोर ने पिछले दिनों चोट लगने के बाद बिहार में अपने ‘सुराज अभियान' को रोक दिया था और अब एक महीने से अधिक समय के अंतराल के बाद फिर से शुरू किया है। महाराष्ट्र में हुई राजनीतिक उथल-पुथल के बारे में पूछे जाने पर, किशोर ने कहा, ‘‘यह उस राज्य के लोगों को तय करना है कि जो हुआ वह उचित है या नहीं। लेकिन आम तौर पर कुछ विधायकों के छोड़ने से कोई पार्टी अपना समर्थन आधार नहीं खोती है। मुझे नहीं लगता राकांपा पर कोई गंभीर असर दिखेगा''। उन्होंने मीडिया के एक वर्ग की उन खबरों पर भी चुटकी ली, जिनमें कहा गया था कि बिहार के मुख्यमंत्री अपनी पार्टी जद (यू) के साथ राकांपा जैसी स्थिति की आशंका को लेकर चिंतित हो गए हैं।

किशोर ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र के विकास का उस राज्य के बाहर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, ठीक उसी तरह जैसे पिछले साल बिहार में हुई उथल-पुथल ने अन्य जगहों की राजनीति को प्रभावित नहीं किया।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं फिर कहता हूं कि जब तक राज्य में अगला विधानसभा चुनाव नहीं होगा, तब तक महागठबंधन अपनी मौजूदा संरचना बरकरार नहीं रखेगा। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का बाहर जाना उसी दिशा में इशारा करता है। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले किसी भी बड़े बदलाव की संभावना नहीं है।'' बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सहित अन्य के खिलाफ नौकरी के बदले भूखंड घोटाला मामले में सीबीआई द्वारा आरोप पत्र दायर किए जाने के बारे में पूछे जाने पर किशोर ने कहा, ‘‘केंद्रीय जांच एजेंसियां जिसके खिलाफ भी छापेमारी करती हैं, उन्हें पकड़ती हैं या पकड़ने का प्रयास करती हैं, सामान्य जनता के नजरिए से लोगों को इस बात की तकलीफ नहीं है कि छापेमारी किसके खिलाफ की जा रही है। लेकिन यह उनके लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है कि केवल विपक्ष के लोग ही पकड़े जाते हैं और जो लोग सत्तारूढ़ व्यवस्था के साथ हैं उन्हें छोड़ दिया जाता है।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह मानना गलत है कि किसी जांच एजेंसी की कार्रवाई से किसी नेता को पीड़ित बनकर राजनीतिक लाभ उठाने में मदद मिलेगी। ऐसे प्रयासों पर लोगों का ध्यान नहीं जाता है।''
 

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