Bihar: BJP नेता की मौत की CBI जांच कराने संबंधी याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

Edited By Ramanjot, Updated: 31 Jul, 2023 02:52 PM

supreme court refuses to hear plea seeking cbi probe into bjp leader s death

पीठ ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय संवैधानिक अदालतें होती हैं। संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उनकी शक्तियां बहुत हैं। स्थानीय उच्च न्यायालय होने के कारण अगर उन्हें लगता है कि स्थानीय पुलिस सही तरीके से काम नहीं कर रही हैं तो वे सक्षम अधिकारियों के साथ...

नई दिल्ली/पटनाः उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें पटना में 13 जुलाई को प्रदर्शन के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता की मौत की घटना की शीर्ष अदालत के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की अध्यक्षता में एसआईटी जांच कराए जाने का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने याचिकाकर्ता को पटना उच्च न्यायालय का रुख करने को कहा। 

पीठ ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय संवैधानिक अदालतें होती हैं। संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उनकी शक्तियां बहुत हैं। स्थानीय उच्च न्यायालय होने के कारण अगर उन्हें लगता है कि स्थानीय पुलिस सही तरीके से काम नहीं कर रही हैं तो वे सक्षम अधिकारियों के साथ एसआईटी का गठन कर सकते हैं तथा जांच पर निगरानी रख सकते हैं।'' इसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली और मामले का निस्तारण कर दिया गया। शीर्ष न्यायालय ने उच्च न्यायालय से मामले पर तत्काल सुनवाई करने और त्वरित निर्णय लेने के लिए कहा। उसने स्पष्ट किया कि उसने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है। जहानाबाद से भाजपा नेता विजय सिंह की ‘विधानसभा मार्च' में भाग लेते वक्त मौत हो गई थी। पार्टी के नेताओं ने दावा किया कि उनकी पुलिस द्वारा बर्बर लाठीचार्ज किए जाने के कारण मौत हुई जबकि पटना जिला प्रशासन ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि उनके शरीर पर ‘‘चोट के कोई निशान नहीं'' पाए गए हैं। 

यह मार्च राज्य सरकार की शिक्षक भर्ती नीति के खिलाफ आंदोलनों के समर्थन में आयोजित किया गया था। मार्च पटना के गांधी मार्च से शुरू हुआ और उसे विधानसभा परिसर से कुछ किलोमीटर पहले रोक दिया गया था। उच्चतम न्यायालय में बिहार निवासी भूपेश नारायण द्वारा दायर याचिका में कथित तौर पर घटना के ‘‘असली दोषियों को बचाने'' के लिए राज्य के पुलिस प्रमुख समेत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव तथा अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कराने का अनुरोध किया गया था। याचिका में दावा किया गया कि मार्च में शामिल लोगों को पुलिस ने पूर्व नियोजित तरीके से अचानक घेर लिया था और उन पर लाठीचार्ज किया गया, पानी की बौछारें की गई तथा आंसू गैस के गोले छोड़े गए जिससे अराजकता की स्थिति पैदा हो गई। इसमें आरोप लगाया गया है कि ‘‘पुलिस की बर्बरता तथा अत्याचार'' के कारण सिंह की मौत हो गई थी। 

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