Edited By Swati Sharma, Updated: 25 Apr, 2023 03:02 PM

आनंद मोहन ने कहा कि मंत्री परिषद के फैसले के साथ कानून से अलग हट रिहाई हुई है तो मैं फिर से एक बार जेल जा सकता हूं। उन्होंने कहा कि कोई भी एक ऐसी घटना ढूंढकर सामने ला दे, जिसमें आनंद मोहन ने कोई दलित विरोधी कदम उठाया हो। हमने मजदूरों की लड़ाई से...
पटना(अभिषेक कुमार सिंह): उम्र कैद की सजा के तहत जेल में 14 वर्ष बीता चुके पूर्व सांसद आनंद मोहन ने अपनी रिहाई को लेकर हो रही सियासत पर अपनी राय रखी। रिहाई को लेकर बीएसपी चीफ मायावती (Mayawati) द्वारा जताई जा रही आपत्ति पर आनंद मोहन ने कहा कि जेल में रहने के दौरान वे सब कुछ भुला चुके हैं और वे किसी मायावती को नहीं जानते हैं।
"कोई भी घटना ढूंढकर सामने ला दे, जिसमें मैंने कोई दलित विरोधी कदम उठाया हो"
आनंद मोहन ने कहा कि मंत्री परिषद के फैसले के साथ कानून से अलग हट रिहाई हुई है तो मैं फिर से एक बार जेल जा सकता हूं। उन्होंने कहा कि कोई भी एक ऐसी घटना ढूंढकर सामने ला दे, जिसमें आनंद मोहन ने कोई दलित विरोधी कदम उठाया हो। हमने हमेशा मजदूरों की लड़ाई से अपना संघर्ष शुरू किया। बता दें कि बिहार सरकार ने बिहार कारा हस्तक, 2012 के नियम-481(i) (क) में संशोधन किया था। संशोधन के बाद अब ड्यूटी पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या अपवाद की श्रेणी में नहीं गिना जाएगा, बल्कि यह एक साधारण हत्या मानी जाएगी। वहीं इसका बड़ा लाभ आनंद मोहन को मिला, क्योंकि सरकारी अफसर की हत्या के मामले में ही आनंद मोहन को सजा हुई थी। अब इसे विलोपित कर दिया गया है।
2007 में हुई थी आनंद मोहन को सजा
गौरतलब हो कि 5 दिसम्बर 1994 को गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया, अधिकारियों की एक बैठक में शामिल होकर वापस लौट रहे थे। इसके एक दिन पहले आनंद मोहन की पार्टी के ही नामी गैंगस्टर छोटन शुक्ला की हत्या कर दी गई हुई थी। बताया जाता है कि हजारों की संख्या में लोग शव के साथ हाइवे पर बैठकर प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की लाल वहां से आ रहे थे। वहां पर मौजूद भीड़ ने उनकी कार पर पथराव करना शुरू कर दिया था। इसके बाद लोगों ने डीएम कृष्णैया को खींचकर कार से बाहर ले आए और खाबरा गांव के पास पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी थी।
वहीं इस घटना के बाद उस समय सियासी गलियारों के साथ प्रशासनिक हलके में हड़कंप मच गया था। डीएम हत्या के मामले में निचली अदालत ने पूर्व सांसद आनंद मोहन के अलावा पूर्व मंत्री अखलाक अहमद को 2007 में फांसी की सजा सुनाई थी। आनंद मोहन के जेल से बाहर आने को लेकर उनके समर्थकों के बीच काफी उत्साह हैं।