Edited By Ramanjot, Updated: 02 May, 2025 06:40 PM

उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री, बिहार विजय कुमार सिन्हा ने अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफ़पीआरआई) के पदाधिकारियों से मुलाकात की।
पटना: उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री, बिहार विजय कुमार सिन्हा ने अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफ़पीआरआई) के पदाधिकारियों से मुलाकात की। आईएफ़पीआरआई के अधिकारियों द्वारा बिहार सरकार और आईएफ़पीआरआई के बीच प्रस्तावित समझौता ज्ञापन (एम॰ओ॰यू॰) की विस्तृत जानकारी दी, जो किसानों की आय में वृद्धि और कृषि अनुसंधान में सहयोग को बढ़ावा देगा।
आज मुख्य सचिव, बिहार अमृत लाल मीणा तथा टी.नंद कुमार, पूर्व सचिव, खाद्य, कृषि एवं सहकारिता विभाग के समक्ष तथा अपर मुख्य सचिव, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग डॉ० एन० विजयालक्ष्मी, सचिव, कृषि संजय कुमार अग्रवाल की उपस्थिति में बिहार सरकार और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफ़पीआरआई) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया। बिहार सरकार की तरफ से समझौता ज्ञापन पर कृषि निदेशक, नितिन कुमार सिंह तथा आईएफ़पीआरआई के तरफ से डॉ० अंजनी कुमार, वरीय रिसर्च फैलो ने हस्ताक्षर किया।

नीति निर्धारण में सहयोग
सचिव, कृषि ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने कृषि, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य और खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में केंद्रित निवेश के माध्यम से अपनी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के रूपांतरण में महत्वपूर्ण प्रगति की है। आज का समझौता ज्ञापन अंतरराष्ट्रीय संस्थान के वैश्विक शोध और नीति निर्धारण में विशेषता का उपयोग कृषि एवं संबंद्ध क्षेत्रो में योजनाओं की रणनीति एवं क्रियान्वयन में सहयोग करेगा।उन्होंने बताया कि समझौता ज्ञापन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण आजीविका में सुधार, नीति नियोजन को मजबूत करना और बिहार के कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में सरकारी कार्यक्रमों की प्रभावशीलता को बढ़ाना है। यह समझौता राज्य के चौथे कृषि रोडमैप (2023-2028) के कार्यान्वयन में सहयोग और समावेशी, साक्ष्य-आधारित विकास के प्रति बिहार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

साझेदारी के मुख्य बिंदु:
- कृषि, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य, खाद्य एवं पोषण और समग्र ग्रामीण विकास में नीति नियोजन और साक्ष्य निर्माण में सहयोग।
- राज्य की कृषि-परिस्थितिकी और सामाजिक-आर्थिक विविधता के अनुसार कार्यक्रम डिजाइन और क्रियान्वयन के लिए डायग्नोस्टिक विश्लेषण करना।
- कृषि रोडमैप और जलवायु अनुकूल कृषि जैसी प्रमुख राज्य योजनाओं को साक्ष्य आधारित सहयोग देना और आवश्यकता अनुसार पुनर्मूल्यांकन करना।
- बागवानी, पशुपालन, मुर्गी पालन और मत्स्य जैसे उच्च-मूल्य वाले क्षेत्रों में मूल्य श्रृंखला विकास और समावेशी रणनीतियों के अवसरों की पहचान करना।
- सरकारी विभागों और संस्थानों की क्षमता संवर्द्धन और दीर्घकालिक नीति विकास के लिए डेटा सिस्टम और मॉडलिंग टूल्स का उपयोग करना।

अग्रवाल ने बताया कि समझौता ज्ञापन की अवधि पाँच वर्ष है, जिसमें विश्लेषणात्मक शोध, तकनीकी सलाह, क्षमता निर्माण और हितधारक परामर्श जैसी संयुक्त गतिविधियाँ की जायेगी। यह साझेदारी बिहार की शोध संस्थाओं के साथ सहयोग को भी बढ़ावा देगी और संस्थागत मजबूती के लिए ज्ञान विनिमय को प्रोत्साहित करेगी। दोनों पक्ष साझा प्राथमिकताओं के अनुरूप अतिरिक्त संयुक्त परियोजनाएं भी विकसित कर सकते हैं। यह समझौता बिहार के ग्रामीण आजीविका सुधार और कृषि प्रणालियों को मजबूत करने के प्रयासों के लिए व्यावहारिक साक्ष्य उत्पन्न करने का अवसर प्रदान करेगी।