Edited By Ramanjot, Updated: 09 Aug, 2025 09:39 PM

बिहार में पिछले 20 वर्ष के दौरान बिजली के क्षेत्र में बेहद उल्लेखनीय बदलाव हुआ है। 2005 के पहले राज्य में बिजली की खपत महज 700 मेगावाट हुआ करती थी, जो अब बढ़कर 8 हजार 752 मेगावाट हो गई है
पटना:बिहार में पिछले 20 वर्ष के दौरान बिजली के क्षेत्र में बेहद उल्लेखनीय बदलाव हुआ है। 2005 के पहले राज्य में बिजली की खपत महज 700 मेगावाट हुआ करती थी, जो अब बढ़कर 8 हजार 752 मेगावाट हो गई है। इसमें 12 गुणा से भी अधिक की बढ़ोतरी हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अथक प्रयासों से बिहार आज बिजली सप्लाइ को लेकर इतना आत्मनिर्भर बन गया है कि आम लोगों को 125 यूनिट प्रति महीने मुफ्त बिजली तक दी जा रही है। आज बिजली उपभोक्ताओं की संख्या बढ़कर 1 करोड़ 86 लाख हो गई है। 20 वर्ष पहले तक यह संख्या महज 17 लाख 30 हजार थी।
प्रति व्यक्ति खपत में भी हुई बढ़ोतरी
राज्य में प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत में भी कई गुणा की बढ़ोतरी हुई है। 2005 या इससे पहले तक राज्य का प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत महज 75 यूनिट थी। वर्तमान में यह बढ़कर 363 यूनिट प्रति व्यक्ति हो गई है। इसकी मुख्य वजह ग्रामीण इलाकों का बड़ी संख्या में किया गया विद्युतीकरण है। शहरी इलाकों विद्युतीकरण की रफ्तार बढ़ने के साथ ही औद्योगिक इकाईयों की स्थापना भी तेजी से होने के कारण बिजली की खपत में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अक्टूबर 2018 में राज्य सरकार के स्तर से चलाया गया ‘हर घर बिजली’ योजना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सभी घरों में बिजली का कनेक्शन मुहैया करा दिया गया। जिस राज्य में कभी 8 से 10 घंटे बिजली रहा करती थी, वहां औसतन इसकी सप्लाई 22 से 24 घंटे शहरी इलाकों और 18 से 20 घंटा ग्रामीण इलाकों में हो गई है।
एटी एवं सी नुकसान की दर 59 से घटकर 15.50 प्रतिशत हो गई
राज्य में बिजली के वितरण में होने वाली तकनीकी एवं वाणिज्यक हानि (एटी एवं सी) हानि 20 वर्ष में 59 प्रतिशत से घटकर 15.50 प्रतिशत हो गई है। ग्रिड सब-स्टेशन और पॉवर सब-स्टेशन से उपभोक्ताओं के घर तक बिजली को पहुंचाने में हुए नुकसान को कई स्तर पर ध्यान देकर कम किया गया है। पॉवर ग्रिड से लेकर घर तक पहुंचने बिजली के तार या केबल समेत अन्य सभी उपकरणों को व्यापक स्तर पर बदला गया। इसका मुख्य असर एटी एवं सी हानि को कम करने में पड़ा। राज्य में विद्युत क्षेत्र में कई उल्लेखनीय और बड़े आधारभूत संरचनाओं मसलन पॉवर सब-स्टेशन, ग्रिड समेत अन्य का निर्माण कराया गया है, जो इस नुकसान के कम करने में सबसे बड़े कारक साबित हुए हैं।
33 केवी लाइन में हुई तीन गुणा की बढ़ोतरी
राज्य में उच्च क्षमता और आधुनिक तकनीक वाले ग्रिड सब-स्टेशन और पॉवर सब-स्टेशन का विकास किया गया। पिछले 20 वर्ष के दौरान इनकी संख्या में चार गुणा से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पॉवर सब-स्टेशन की संख्या 172 से बढ़कर वर्तमान में 1260 हो गई है। इसी तरह ट्रांसफॉर्मर की संख्या में 10 गुणा की बढ़ोतरी हुई है और यह बढ़कर साढ़े तीन लाख तक पहुंच गई है। विद्युत संचरन लाइन यानी ट्रांसमिशन लाइन की लंबाई चार गुणा से अधिक बढ़कर 20 हजार किमी से अधिक हो गई है। इसी तरह 33 किलोवॉट बिजली सप्लाइ लाइन की लंबाई में तीन गुणा की बढ़ोतरी हुई है और यह 19 हजार किमी तक हो गई है।
आर्थिक समृद्धि से लेकर हुआ औद्योगिक विकास तक
बिहार में उर्जा की खपत तेजी से बढ़ने का सीधा असर यहां की आर्थिक समृद्धि और औद्योगिक विकास पर हुआ है। लोगों की जीवन शैली तेजी से आधुनिक और समृद्ध होते जा रही है। पहले यहां सूई तक का कारखाना नहीं हुआ करता था, वहां आज सैकड़ों की संख्या बढ़े से लेकर छोटे और मध्यम स्तर से कल-कारखाने विकसित हो रहे हैं। औद्योगिक पार्क की स्थापना की जा रही है। मध्यम और लघु उद्योगों की संख्या में भी निरंतर बढ़ोतरी हो रही है।