मानव-मांसाहारी सह-अस्तित्व क्षेत्र के रूप में विकसित किए जाएंगे वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के 5 गांव

Edited By Ramanjot, Updated: 04 Dec, 2022 05:59 PM

five villages of valmiki tiger reserve will be developed as human carnivore

अधिकारियों ने बताया कि बिहार सरकार इसको लेकर भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट (डब्ल्यूटीआई), एक नेपाली संगठन और परियोजना के लिए यूके स्थित एक चिड़ियाघर के साथ हाथ मिलाने जा रही है। उन्होंने कहा कि परियोजना का उद्देश्य वाल्मीकि-चितवन-परसा सीमा पार के परिदृश्य...

पटनाः बिहार में मानव-वन्यजीव संघर्ष को समाप्त करने के लिए राज्य के पश्चिम चंपारण जिले में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के पांच गांवों को एक मॉडल मानव-मांसाहारी वन्यजीव सह-अस्तित्व क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा।

अधिकारियों ने बताया कि बिहार सरकार इसको लेकर भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट (डब्ल्यूटीआई), एक नेपाली संगठन और परियोजना के लिए यूके स्थित एक चिड़ियाघर के साथ हाथ मिलाने जा रही है। उन्होंने कहा कि परियोजना का उद्देश्य वाल्मीकि-चितवन-परसा सीमा पार के परिदृश्य में मानव-मांसाहारी वन्यजीव संघर्ष को समाप्त करना है। बिहार के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन पी के गुप्ता ने बताया कि डब्ल्यूटीआई, नेशनल ट्रस्ट फॉर नेचर कंजर्वेशन (एनटीएनसी) नेपाल और चेस्टर जू (यूके) ने संयुक्त रूप से परियोजना के लिए आवेदन किया था और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग से समर्थन पत्र मांगा था। उन्होंने कहा, ‘‘विभाग ने इस पहल को हरी झंडी दे दी है।'' 

मानव-वन्यजीव संघर्ष सबसे गंभीर खतरों में से एक 
गुप्ता ने कहा, ‘‘चेस्टर चिड़ियाघर पिछले कई सालों से दुनिया भर में मानव-वन्यजीव संघर्ष पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है जिसमें नेपाल में तराई भी शामिल है, जहां मानव-बाघ संघर्ष चिंता का विषय है।'' उन्होंने कहा कि मानव-वन्यजीव संघर्ष दुनिया भर में कई प्रजातियों के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है। गुप्ता ने कहा, ‘‘परियोजना सामुदायिक जुड़ाव पर ध्यान केंद्रित करेगी, पशुधन के नुकसान को कम करने के तरीकों का विकास करेगी और ग्रामीण प्रथाओं और व्यवहार संबंधी मुद्दों को बदल देगी।'' तीन साल तक चलने वाली यह परियोजना 2023 में शुरू होगी। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का एक आदमखोर बाघ हाल ही में खबरों में था, जिसने नौ लोगों और सैकड़ों घरेलू पशुओं को मार डाला था। उसे इसी साल अक्टूबर में गोली मार दी गई थी।

गुप्ता ने कहा, ‘‘रिजर्व बाघों की आनुवंशिक रूप से मजबूत आबादी को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।'' वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, भारत और नेपाल के बीच वन गलियारों का उपयोग बड़े पैमाने पर बाघों और अन्य बड़े स्तनधारियों द्वारा किया जाता है। अधिकारी ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों के आधार पर राज्य सरकार ने बाघों के आवासों की रक्षा और उनकी आबादी के संरक्षण के लिए कई उपाय किए हैं।'' आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि 2014 और 2018 के बीच राज्य में बाघों की आबादी 50 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 32 से लगभग 50 हो गई है।

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