Edited By Ramanjot, Updated: 13 Feb, 2025 02:42 PM
महाशिवरात्रि बिहार में आस्था और भक्ति का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। मंदिरों में गूंजते ‘हर-हर महादेव’ के जयकारे, बेलपत्र और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक, और व्रत-उपवास की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
महाशिवरात्रि बिहार में आस्था और भक्ति का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। मंदिरों में गूंजते ‘हर-हर महादेव’ के जयकारे, बेलपत्र और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक, और व्रत-उपवास की परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन इस साल महाशिवरात्रि के उत्सव में एक नया रंग जुड़ रहा है-मेहंदी (simple mehndi design) का रंग।
शिवरात्रि पर मेहंदी लगाने का बढ़ता ट्रेंड
अब तक मेहंदी को सिर्फ सुहाग और श्रृंगार का प्रतीक माना जाता था, लेकिन इस साल बिहार के कई जिलों में महाशिवरात्रि (Maha Shivratri 2025 Special Mehndi Design) के अवसर पर महिलाएं और युवतियां अपने हाथों पर शिव-थीम वाली मेहंदी रचाने लगी हैं। पटना, गया, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और दरभंगा जैसे शहरों में मेहंदी के स्टॉल्स महाशिवरात्रि से पहले ही सजे हुए हैं। यह नई परंपरा त्योहारों को आधुनिक रंग देने के साथ-साथ शिवभक्ति को भी एक अलग अंदाज में व्यक्त कर रही है।
बिहार में क्यों बढ़ रहा है यह ट्रेंड?
सांस्कृतिक बदलाव: नई पीढ़ी शिवरात्रि को सिर्फ पूजा-पाठ का पर्व नहीं, बल्कि एक उत्सव के रूप में देख रही है।
सोशल मीडिया का प्रभाव: शिव-थीम वाली मेहंदी के डिजाइन्स (Simple MahaShivratri Mehndi Design) इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिससे युवाओं में इसे अपनाने का क्रेज बढ़ा है।
बाजार की भागीदारी: मेहंदी आर्टिस्ट्स भी इस मौके पर "शिवरात्रि स्पेशल" डिजाइन पेश कर रहे हैं, जिससे मेहंदी लगवाने का रुझान बढ़ रहा है।
मेहंदी और महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक जुड़ाव
पारंपरिक रूप से मेहंदी (Mehndi Design) को सौभाग्य और मंगलता का प्रतीक माना जाता है। शिवरात्रि का यह पर्व भी सौभाग्य और कल्याण से जुड़ा हुआ है। ऐसे में मेहंदी लगाने को शिव की कृपा पाने का एक नया तरीका माना जा रहा है।
बिहार में एक नई परंपरा का जन्म?
महाशिवरात्रि पर मेहंदी (Shivratri Mehndi Design) लगाने की यह परंपरा धीरे-धीरे लोकप्रिय होती जा रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले वर्षों में यह कितना आगे बढ़ता है। लेकिन इतना तय है कि बिहार की शिवरात्रि अब सिर्फ उपवास और पूजा तक सीमित नहीं, बल्कि आस्था और सौंदर्य का नया संगम बनती जा रही है।