Edited By Ramanjot, Updated: 29 Mar, 2022 05:52 PM
राज्यसभा में शून्य काल के दौरान सुशील मोदी ने उच्चतम न्यायालय द्वारा पिछले साल महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगाए जाने संबंधी फैसले का हवाला देते हुए कहा कि इसके परिणामस्वरूप महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश...
नई दिल्ली/पटनाः राज्यसभा में मंगलवार को भाजपा के सुशील मोदी ने अनुसूचित जाति और अनुसचित जनजाति को एक ही सूची के आधार पर शिक्षा, नौकरियों और राजनीति में मिलने वाले आरक्षण की तर्ज पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण सुनिश्चित किए जाने की मांग की। उन्होंने सुझाव दिया कि इसे सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार को आवश्यकता अनुसार कानून बनाना चाहिए।
राज्यसभा में शून्य काल के दौरान सुशील मोदी ने उच्चतम न्यायालय द्वारा पिछले साल महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगाए जाने संबंधी फैसले का हवाला देते हुए कहा कि इसके परिणामस्वरूप महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में पंचायत और शहरी निकायों के चुनावों को स्थगित करना पड़ा है। उन्होंने कहा, ‘‘कर्नाटक और बिहार में भी चुनाव कराना मुश्किल हो गया है क्योंकि राजनीतिक आरक्षण की अलग सूची बनाना बहुत ही कठिन काम है।'' उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैं आपसे आग्रह करूंगा कि जिस तरह से एसटी व एससी के लिए एक ही सूची है और जिसके आधार पर शिक्षा, नौकरी और राजनीतिक आरक्षण का लाभ मिलता है। ठीक उसी प्रकार ओबीसी के लिए भी एक ही लिस्ट के आधार पर आरक्षण होना चाहिए। इसे सुनिश्चित करने के लिए आवश्यकतानुसार कानून बनाया जाए।''
द्रविड़ मुनेत्र कषगम के पी विल्सन ने भी इस मुद्दे को उठाया और कहा कि सर्वोच्च अदालत के फैसले से संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है क्योंकि 1992 में स्थानीय निकायों के चुनाव में आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था की गई थी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस गतिरोध को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।