"शिक्षा की बात हर शनिवार": बिहार में शिक्षा सुधार की दिशा में एक अनोखी पहल

Edited By Ramanjot, Updated: 19 Apr, 2025 09:04 PM

shiksha ki baat har shanivar

बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सशक्त और समावेशी बनाने के लिए "शिक्षा की बात हर शनिवार" कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। इस कार्यक्रम के 11वें एपिसोड में बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने छात्रों और शिक्षकों के सवालों का सिलसिलेवार...

पटना:बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सशक्त और समावेशी बनाने के लिए "शिक्षा की बात हर शनिवार" कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। इस कार्यक्रम के 11वें एपिसोड में बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने छात्रों और शिक्षकों के सवालों का सिलसिलेवार जवाब दिया।

टाइम मैनेजमेंट की मिसाल

शिवहर की छात्रा ज्योति कुमारी ने एक प्रेरणात्मक सवाल करते हुए पूछा कि कैसे आप रात में 11 बजे तक सक्षमता परीक्षा की फाइल पर हस्ताक्षर करने के बाद अगली सुबह 8 बजे फ्लाइट उड़ाते हुए नजर आते हैं। इस पर उन्होंने बताया कि वे एक दिन पहले ही अगले दिन की रूपरेखा तय कर लेते हैं और उसका कड़ाई से पालन करते हैं। उनका दिन सुबह 5 बजे शुरू होता है, अख़बार पढ़ने के बाद 8 से 9 बजे तक फ्लाइट उड़ाते हैं और फिर सवा 9 बजे तक ऑफिस पहुंच जाते हैं। उन्होंने कहा कि जब कार्य और हॉबी के लिए समय का सही विभाजन होता है, तब सभी जिम्मेदारियों को संतुलन के साथ निभाना संभव होता है।

मातृभाषा में शिक्षा पर जोर

पटना के बिक्रम के शिक्षक राकेश के सवाल पर उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में ही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों की शिक्षा मातृभाषा में ही होनी चाहिए। जबतक वे अपनी मातृभाषा में नहीं सीखेंगे, तबतक लर्निंग कैपेसिटी बिल्ड नहीं होगी। ये समस्या जरूर है कि हमने इंग्लिश की किताब में भोजपुरी, मगही, मैथिली शब्दों को अंकित नहीं किया है और हिन्दी भाषा की किताबों में भी ये बातें नहीं है लेकिन मैं ये उम्मीद करता हूं कि जब भी शिक्षक अपनी कक्षा में पढ़ाएं तो अपनी मातृभाषा में ही छात्रों को बताने की कोशिश करें। 

चेतना सत्र : सिर्फ औपचारिकता नहीं, जिम्मेदारी है

बेगूसराय की केमिस्ट्री शिक्षिका प्रभा कुमारी के सवाल पर डॉ. एस. सिद्धार्थ ने बताया कि चेतना सत्र का उद्देश्य बच्चों में मानवीय गुण, नेतृत्व क्षमता और राष्ट्रप्रेम की भावना विकसित करना है। यह सत्र पाठ्यपुस्तक से हटकर बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए है और इसे केवल औपचारिकता नहीं बल्कि गंभीर जिम्मेदारी की तरह लिया जाना चाहिए।

समुदाय की भूमिका और नामांकन अभियान

वहीं, एक शिक्षक ने प्रश्न किया कि शत-प्रतिशत नामांकन के लिए पखवारा भी चल रहा है लिहाजा शिक्षक ऐसा क्या करें कि नामांकन में तेजी आए। इसका जवाब देते हुए ACS ने कहा कि समाज के शिक्षित वर्ग जैसे मुखिया, जीविका दीदी, वार्ड सदस्य और शिक्षकों से अपील है कि वे स्कूल से बाहर घूम रहे बच्चों को वापस विद्यालय लाएं। शत-प्रतिशत नामांकन के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि गांव में प्रभातफेरी निकाली जाए, स्कूल को आकर्षक बनाया जाए ताकि बच्चों और अभिभावकों में उत्सुकता जगे।

डिजिटल शिक्षा की ओर ठोस कदम

तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देते हुए उन्होंने बताया कि इस वर्ष सभी कक्षा 6 से ऊपर के स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा शुरू की जाएगी। ICT लैब की स्थापना की जाएगी और पठन-पाठन सामग्री डिजिटल फॉर्म में पेन ड्राइव के ज़रिए उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा डिजिटल लाइब्रेरी को भी सशक्त किया जा रहा है।

ऑनलाइन उपस्थिति की शुरुआत

दरभंगा की कक्षा 4 की छात्रा सुहानी के सवाल पर उन्होंने बताया कि 1 मई 2025 से 30 स्कूलों में ट्रायल के तौर पर ऑनलाइन अटेंडेंस की शुरुआत की जा रही है। इसके लिए टैबलेट्स प्रदान किए गए हैं और अगर यह ट्रायल सफल रहा तो जल्द ही पूरे राज्य में इसे लागू किया जाएगा।

प्रशिक्षण और निगरानी

इसके बाद एक और प्रश्न का उत्तर देते हुए अपर मुख्य सचिव ने कहा कि बार-बार मैं SCERT को ये कहता हूं कि जब आप ट्रेनिंग कराते हैं और पढ़ाते हैं, वो स्कूल में लागू हो रहा है या नहीं, ये सुनिश्चित करें। उन्होंने ये भी कहा है कि हर जो फैकल्टी है, उसके साथ दो स्कूल को भी जोड़िए। इस दौरान FLN का जो प्रयोग है, वो देखेगा कि जिस शिक्षक को हमने ट्रेनिंग दी थी, वो उस तरीके से पढ़ा रहा या नहीं या फिर अपनी मर्जी से शुरू हो गया। इसके प्रति मेरी चिंता है।

गौरतलब है कि "शिक्षा की बात हर शनिवार" बिहार में शिक्षा की तस्वीर बदलने की दिशा में एक परिवर्तनकारी पहल है। यह न केवल संवाद का मंच है बल्कि समस्याओं के समाधान और भविष्य की योजनाओं का संकेत भी देता है। डॉ. एस. सिद्धार्थ के नेतृत्व में यह कार्यक्रम शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता जा रहा है।

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