सतत् जीविकोपार्जन योजना लक्षित परिवारों के लिए आय वृद्धि का बेहतर स्रोतः मुख्य सचिव

Edited By Nitika, Updated: 01 Dec, 2022 01:39 PM

statement of chief secretary

सतत् जीविकोपार्जन योजना लक्षित परिवारों के लिए आय वृद्धि का बेहतर स्रोत है, जिसके लिए सरकार प्रति परिवार एक लाख रुपए तक निवेश में सहयोग हेतु कृतसंकल्प है।

 

पटना(अभिषेक कुमार सिंह): सतत् जीविकोपार्जन योजना लक्षित परिवारों के लिए आय वृद्धि का बेहतर स्रोत है, जिसके लिए सरकार प्रति परिवार एक लाख रुपए तक निवेश में सहयोग हेतु कृतसंकल्प है। उक्त बातें सूचना भवन के सभागार में आयोजित संवाददाता सम्मेलन के दौरान बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कही।

मुख्य सचिव ने 29 नवम्बर को मंत्रिपरिषद् की बैठक में निर्णीत ग्रामीण विकास विभाग के सतत् जीविकोपार्जन योजना की अहम बातों पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस दौरान योजना के तथ्यात्मक तथा आंकड़ों संबंधित पहलुओं पर प्रकाश डालने के लिए मुख्य सचिव के साथ ग्रामीण विकास विभाग के सचिव बालामुरुगन डी भी उपस्थित थे।

मुख्य सचिव ने बताया कि बिहार सरकार द्वारा देशी शराब एवं ताड़ी के उत्पादन एवं बिक्री में पारम्परिक रूप से जुड़े अत्यंत निर्धन परिवारों एवं अनुसूचित जाति/जनजाति एवं अन्य समुदायों के लक्षित अत्यंत निर्धन परिवारों के पक्ष में राज्य योजना अन्तर्गत "सतत् जीविकोपार्जन योजना की शुरुआत 5 अगस्त, 2018 को तीन वर्षों के लिए माननीय मुख्यमंत्री, बिहार द्वारा किया गया। राज्य सरकार द्वारा योजना का अवधि विस्तार अगले तीन वर्षों (2021 से 2024) के लिए किया गया है। योजना अन्तर्गत अब तक कुल 1,47,277 अत्यन्त निर्धन परिवारों का चयन किया जा चुका है। चयनित परिवारों में 95,921 अनुसूचित जाति/जनजाति तथा 51,356 अन्य वर्गों के हैं। अब तक 1,45,998 अत्यंत निर्धन परिवारों को क्षमतावर्धन विषयों पर प्रशिक्षित किया जा चुका है।

सतत् जीविकोपार्जन योजना अन्तर्गत जीविका ग्राम संगठनों द्वारा 1,41,108 चयनित अत्यंत निर्धन परिवारों को जीविकोपार्जन निवेश निधि उपलब्ध करवाई गई है एवं इन परिवारों को सूक्ष्म व्यवसाय, गव्य, बकरी एवं मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन तथा कृषि संबंधित गतिविधियों 1 से जोड़ा गया है। योजना से लाभान्वित परिवारों में 1,01,971 परिवार सूक्ष्म व्यवसाय, 38,384 परिवार पशुपालन तथा 753 परिवार कृषि से जुड़े हैं। पशुपालन से जुड़े परिवारों में 35812 बकरी पालन तथा 2572 परिवार गव्य पालन से जुड़े हैं। योजना अन्तर्गत कुल 40,893 ताड़ी तथा देशी शराब से जुड़े परिवारों को सतत् जीविकोपार्जन योजना से जोड़ा गया। इनमें से 30,619 परिवार ताड़ी तथा 10,274 परिवार देशी शराब के उत्पादन एवं बिक्री में पारम्परिक रूप से जुड़े हुए थे। नगर विकास एवं आवास विभाग अन्तर्गत राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन एवं जिला प्रशासन के सहयोग से शहरी क्षेत्रों में ताड़ी तथा देशी शराब से जुड़े 12258 परिवारों का सर्वेक्षण किया गया है। इन परिवारों में से योग्य परिवारों को सतत् जीविकोपार्जन योजना अन्तर्गत लाभान्वित किया जाना है।

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सतत् जीविकोपार्जन योजना राज्य सरकार द्वारा क्रियान्वित एक जनकल्याण योजना है, जिसका लाभ अबतक ग्रामीण क्षेत्रों के अन्तर्गत निर्धन परिवारों को मिलता आया है। राज्य सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया कि इस लाभकारी योजना को शहरी क्षेत्रों में भी विस्तारित किया जाए। राज्य सरकार द्वारा उद्देश्य में संशोधन लाते हुए शराब एवं ताड़ी के उत्पादन एवं बिक्री में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े अत्यंत निर्धन परिवार तथा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य समुदाय के लक्षित परिवार अत्यंत निर्धन परिवारों के आजीविका संवर्धन, क्षमता निर्माण एवं वित्तीय सहायता के माध्यम से सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण हेतु राज्य योजना अन्तर्गत चालू योजना सतत् जीविकोपार्जन योजना को अब जीविका के माध्यम से सम्पूर्ण बिहार (ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों) में क्रियान्वित करने की स्वीकृति प्रदान की गई है। योजना अन्तर्गत लक्षित समुदाय के आजीविका संवर्धन हेतु कुल 610 करोड़ रु. का व्यय किया जाएगा। योजना अन्तर्गत लक्षित परिवारों को एकीकृत परिसंपत्ति के सृजन हेतु औसतन रु. 60,000 (अधिकतम 1,00,0000/-) प्रति परिवार निवेश में सहयोग दिए जाने का प्रावधान है।

शराब एवं ताड़ी के उत्पादन एवं बिक्री में जुड़े अत्यंत निर्धन परिवारों को एकीकृत परिसंपत्ति के सृजन हेतु रुपए 1,00,000/- (एक लाख) प्रति परिवार निवेश में सहयोग दिया जाएगा। इस योजना से ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में शराब एवं ताड़ी के उत्पादन एवं बिक्री में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े अत्यंत निर्धन परिवारों को सतत् जीविकोपार्जन योजना से जोड़ने 2 के फलस्वरूप सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण को बल प्रदान किया जा सकेगा। इस हेतु ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूहों एवं उनके संगठनों की सहायता ली जाएगी। बिहार राज्य में पूर्ण शराबबंदी के पश्चात् वित्तीय वर्ष 2017 से ताड़ी उत्पादन एवं बिक्री से जुड़े परिवारों को स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से नीरा परियोजना से जोड़ा गया। नीरा परियोजना अन्तर्गत 34,037 टैपर्स को नीरा उत्पादन एवं इसके विभिन्न उत्पादों जैसे गुड़, पेड़ा बनाने हेतु प्रशिक्षण दिया गया। नीरा गतिविधि को प्रोत्साहित करने हेतु 628 उत्पादक समूह का गठन किया गया, जिसमें 10,415 परिवार जुड़े हुए हैं। नीरा के विक्रय हेतु 1946 नीरा विक्रय केन्द्र की स्थापना की गई एवं नीरा संरक्षण हेतु नालंदा जिले में 3 शीतक केन्द्र की स्थापना की गई। 2017 से अबतक कुल 8946380 लीटर नीरा का उत्पादन किया जा चुका है, जिसके विक्रय से नीरा उत्पादों को कुल 69.45 करोड़ रुपए का आय सृजन हुआ है।

वित्तीय वर्ष 2022-23 (मार्च से जुलाइ तक) कुल 80 लाख लीटर नीरा का उत्पादन किया गया, जिसमें से 7517287 लीटर नीरा का विक्रय किया गया। नीरा परियोजना अन्तर्गत ताड़ के पेड़ से नीरा का उत्पादन प्रत्येक वर्ष अप्रैल से जुलाई की अवधि में होता है। वित्तीय वर्ष 2022-23 से खजूर से नीरा का उत्पादन प्रारंभ किया गया है, जो सालों भर होता रहता है। अतः नीरा परियोजना के अन्तर्गत उत्पादक समूह के गठन के माध्यम से ताड़ी के साथ-साथ खजूर से जुड़े परिवारों को भी नीरा परियोजना में सम्मलित किया गया। जीविका, ग्रामीण विकास विभाग द्वारा शराब एवं ताड़ी के व्यवसायी से जुड़े परिवारों के आय सृजन हेतु नीरा परियोजना एवं सतत् जीविकोपार्जन योजना के संचालन से संबंधित विस्तृत कार्य योजना बनाकर कार्य किया जा रहा है।
 

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