Edited By Nitika, Updated: 04 Oct, 2023 03:52 PM

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बिहार इकाई के अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने एक दिन पहले प्रदेश की नीतीश कुमार सरकार द्वारा जारी जाति आधारित गणना के बारे में कहा कि इसके निष्कर्षों के अनुसार ‘‘80 प्रतिशत उनकी पार्टी के समर्थक'' हैं।
पटनाः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बिहार इकाई के अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने एक दिन पहले प्रदेश की नीतीश कुमार सरकार द्वारा जारी जाति आधारित गणना के बारे में कहा कि इसके निष्कर्षों के अनुसार ‘‘80 प्रतिशत उनकी पार्टी के समर्थक'' हैं।
पटना में राज्य भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए चौधरी ने आरोप लगाया कि यह रिपोर्ट राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद द्वारा की गई तुष्टिकरण की राजनीति और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा समर्थित राजनीति के अनुरूप तैयार की गई थी। चौधरी ने कहा, ‘‘भाजपा जाति आधारित गणना का स्वागत करती है, जिसका आदेश राज्य कैबिनेट ने तब दिया था जब हमारी पार्टी से दो उपमुख्यमंत्री सहित 16 मंत्री थे।''
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, ‘‘जो आंकड़े सामने आए हैं उनमें से अस्सी प्रतिशत लोग भाजपा के समर्थक हैं।'' चौधरी का इशारा सर्वेक्षण में राज्य की कुल आबादी में बहुसंख्यक हिंदू समुदाय की आबादी 80 प्रतिशत दर्शाए जाने की ओर था, जिसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कथित ‘‘80 बनाम 20'' के बयान से जोड़कर देखा जा रहा है । हालांकि बिहार भाजपा नेता ने यह भी दावा किया कि धानुक जैसे कई अत्यंत पिछड़े वर्ग (ईबीसी) के लोग उनसे शिकायत कर रहे हैं कि उनकी संख्या अनुमान से कम दिखाई गई है। उन्होंने कहा, ‘‘हम सरकार से सर्वेक्षण की कार्यप्रणाली जानने की कोशिश करेंगे। हमें संदेह है कि नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद के दबाव में काम किया है, जिनकी तुष्टिकरण की राजनीति जगजाहिर है।'' चौधरी ने कहा कि अगर नीतीश और लालू को वास्तव में अतिपिछड़ों की परवाह है तो उन्हें सत्ता पर अपना कब्ज़ा छोड़ देना चाहिए और अति पिछड़े वर्ग के लोगों को बागडोर सौंप देनी चाहिए।
सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य की कुल आबादी 13.07 करोड़ में मुस्लिम आबादी 17.70 प्रतिशत है। कई राजद नेताओं का कहना है कि सर्वेक्षण के अनुसार 2011 की जनगणना के बाद से प्रतिशत के मामले में मुस्लिम आबादी में वृद्धि एक प्रतिशत से भी कम रही है। यह भाजपा के दावों के विपरीत है कि नेपाल और बांग्लादेश के साथ खुली सीमाओं वाले जिले अनियंत्रित घुसपैठ के कारण जनसांख्यिकीय परिवर्तन से गुजर रहे थे। बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सोमवार को अपने बहुप्रतीक्षित जाति सर्वेक्षण के निष्कर्ष जारी किए, जिसमें पता चला कि ओबीसी और ईबीसी राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत हिस्सा हैं।
आंकड़ों के अनुसार, ईबीसी (36 प्रतिशत) सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग बनकर उभरा है, जिसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.13 प्रतिशत है। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि ओबीसी समूह के अंतर्गत आने वाले यादव समुदाय की आबादी सबसे अधिक 14.27 प्रतिशत है। दलित जिन्हें अनुसूचित जाति भी कहा जाता है, राज्य की कुल आबादी का 19.65 प्रतिशत हैं, जिसमें अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 22 लाख (1.68 प्रतिशत) है। ‘‘अनारक्षित'' श्रेणी से संबंधित लोग जो 1990 के दशक की मंडल लहर तक राजनीति पर हावी रहने वाली उच्च जातियों को दर्शाता है, कुल आबादी का 15.52 प्रतिशत है।