Edited By Ramanjot, Updated: 07 Sep, 2023 01:13 PM

सुशील मोदी ने बयान जारी कर कहा कि एसीएस के के पाठक जब से शिक्षा विभाग में हैं, तब से विभाग किसी न किसी विवाद में है। उन्होंने कहा कि पहले शिक्षा मंत्री से टकराए, जिसके कारण मंत्री 22 दिन तक कार्यालय नहीं आये। फिर 4 साल के डिग्री कोर्स का विरोध कर...
पटना: बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार शिक्षा विभाग के अवर मुख्य सचिव (एसीएस) केके पाठक को हटाने में जितनी देर करेगी, उतनी फजीहत होगी और शिक्षा में सुधार के राजभवन के प्रयास में उतनी बाधाएं आती रहेंगी।
सुशील मोदी ने बयान जारी कर कहा कि एसीएस के के पाठक जब से शिक्षा विभाग में हैं, तब से विभाग किसी न किसी विवाद में है। उन्होंने कहा कि पहले शिक्षा मंत्री से टकराए, जिसके कारण मंत्री 22 दिन तक कार्यालय नहीं आये। फिर 4 साल के डिग्री कोर्स का विरोध कर शिक्षा विभाग राजभवन से भिड़ गया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति-प्रति कुलपति के वेतन रोक देना, 6 कुलपतियों की नियुक्ति के लिए राजभवन के विज्ञापन के दो सप्ताह बाद शिक्षा विभाग से भी विज्ञापन जारी करना, रक्षाबंधन समेत कई हिंदू त्योहारों की छुट्टी रद करना और कुलाधिपति सह राज्यपाल के अधिकार को चुनौती देना एक एसीएस के ऐसे आचरण हैं, जिन पर मुख्यमंत्री को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए।
भाजपा सांसद ने कहा कि अब यदि सरकार की मंशा शिक्षा मंत्री और राजभवन को काम न करने देने की ही हो, तब तो शिक्षा विभाग में किसी बदलाव की आशा करना व्यर्थ है। उन्होंने कहा कि वीसी का वेतन रोकने से लेकर स्कूलों में छुट्टियां रद्द करने तक केके पाठक के कई विवादास्पद आदेश सरकार को अंतत: वापस लेने पड़े। 2010 में इन्हें शिक्षा विभाग से हटना पड़ा था। ये किसी विभाग में 8-10 माह से ज्यादा टिक नहीं पाते। भाजपा सांसद ने कहा कि जब के के पाठक के आदेश बार-बार वापस लेने पड़े, तब उन्हें आत्म सम्मान की रक्षा के लिए स्वयं ही मुख्यमंत्री से किसी अन्य विभाग में तबादले का आग्रह करना चाहिए।