सुहानी की कहानी: संघर्ष से साइक्लिंग तक, बनी हज़ारों लड़कियों की रोल मॉडल

Edited By Ramanjot, Updated: 11 May, 2025 06:29 PM

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देश में खेल संस्कृति की जड़ें मजबूत करने की दिशा में पहल करने वालों में पहले हरियाणा, पंजाब, ओडिशा और दक्षिण भारत के कुछ राज्य ही शामिल थे।

पटना:देश में खेल संस्कृति की जड़ें मजबूत करने की दिशा में पहल करने वालों में पहले हरियाणा, पंजाब, ओडिशा और दक्षिण भारत के कुछ राज्य ही शामिल थे। लेकिन, बीते दशकों में बिहार ने खेल और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की ओर तेजी से कदम बढ़ाए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य ने भारत के खेल महाशक्ति बनने के सपने को साकार करना शुरू कर दिया है। इसकी एक बानगी राज्य की मेजबानी में हो रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में देखने को मिल रही है। यहां के खिलाड़ी अपने प्रदर्शन से सिर्फ पदक नहीं, लोगों का दिल भी जीत रहे हैं। 

हाल ही में छपरा की रहने वाली सुहानी कुमारी ने इंडिविजुअल परस्यूट साइक्लिंग स्पर्धा में पदक जीतकर राज्य को गर्वित किया है। अन्य खेलों में भी मेजबान खिलाड़ी बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं।

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राज्य सरकार की मदद से तैयार हो रहे होनहार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में खेल के क्षेत्र में बिहार ने बीते दो दशकों में काफी तेजी से प्रगति की है। राज्य सरकार ने अपनी खेल नीति को सुदृढ़ किया है और खिलाड़ियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विश्वस्तरीय सुविधाएं विकसित की है। खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं और उनका लाभ लेकर आज राज्य के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। 

साइक्लिस्ट सुहानी ने भी राज्य सरकार की सहायता से अपने खेल को बेहतर किया है। उन्होंने बताया कि उन्हें मुख्यमंत्री खेल छात्रवृति योजना की प्रेरणा श्रेणी के तहत चुना गया है।  इतना ही नहीं उनकी उत्कृष्ट साइक्लिंग प्रतिभा को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री ने उन्हें 11 लाख रुपए की साइकिल उपलब्ध कराई।

सनद रहे कि प्रेरणा छात्रवृत्ति योजना के तहत खिलाड़ियों को राज्य सरकार की ओर से प्रतिवर्ष 3 लाख रुपए की राशि  दी जाती है।

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राजगीर में जल्द बनकर तैयार होगा साइक्लिंग ट्रैक

खेल सुविधाओं के लिहाज से बीते कुछ वर्षों में बिहार ने काफी तरक्की कर ली है। अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम से लेकर वर्ल्ड क्लास इंडोर स्टेडियम तक बनकर तैयार हैं। इतना ही नहीं एथलेटिक्स को बढ़ावा देने की दिशा में भी बिहार सरकार तेजी से काम कर रही है। खेल विभाग के अधिकारियों के मुताबिक राजगीर में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का साइक्लिंग ट्रैक जल्द बनकर तैयार हो जाएगा। इसका निर्माण कार्य प्रगति पर है और यह शीघ्र ही खिलाड़ियों के लिए खोला जाएगा। 

बिहार की बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत बनीं सुहानी

सुहानी की उपलब्धि न केवल उनके निरंतर अभ्यास और समर्पण का परिणाम है, बल्कि यह बिहार के युवाओं विशेषकर बेटियों के लिए एक प्रेरणास्रोत भी बन गई है। उन्होंने यह दिखाया है कि यदि प्रतिभा को सही अवसर, उचित मार्गदर्शन, संसाधन और सरकार का साथ मिलें तो वे राष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहरा सकती हैं।

खेलो इंडिया यूथ गेम्स जैसे राष्ट्रीय आयोजन भारत के विभिन्न राज्यों के युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने और बड़े मंच पर प्रतिस्पर्धा करने का अवसर देते हैं। बिहार की सक्रिय भागीदारी और पदक विजेताओं की संख्या यह संकेत देती है कि राज्य में खेल के प्रति नई जागरूकता और ऊर्जा का संचार हुआ है। सुहानी कुमारी की उपलब्धि इस बात का प्रतीक है कि बिहार की बेटियां अब आत्मविश्वास और संकल्प के साथ खेल के मैदानों में अपना लोहा मनवा रही हैं।

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बिहार में खड़ा हो रहा खेल का बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर

बिहार में खेल और खिलाड़ियों की सुविधाओं को बढ़ाने की दिशा में युद्धस्तर पर काम हो रहा है। राज्य सरकार प्रखंड स्तर पर आउटडोर स्टेडियम के साथ राज्य के सभी जिलों में खेल भवन सह व्यायामशाला का निर्माण करा रही है। इतना ही नहीं, ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में जमीनी स्तर की प्रतिभाओं को तलाशने और उन्हें निखारने के लिए बड़े स्तर पर कार्यक्रम चला रही है। 

प्रतिभा खोज अभियान जिसे मशाल नाम दिया गया है, के तहत छिपी प्रतिभाओं को तलाशा जा रहा है, वहीं खेल छात्रवृति योजना के माध्यम से उन्हें आर्थिक सहायता देकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचने के लिए तैयार किया जा रहा है।  ‘मेडल लाओ, नौकरी पाओ’ योजना राज्य को खेल शक्ति बनाने की दिशा में एक और बड़ा पहल है। अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले प्रतिभावान खिलाड़ियों को राज्य सरकार तत्काल नौकरी दे रही है। इस योजना के तहत अभी तक 367 खिलाड़ियों को नौकरी मिल चुकी है। 

राज्य सरकार ने खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने और खेल को बढ़ावा देने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। इसी का नतीजा है कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स से पूर्व हॉकी चैंपियनशिप की मेजबानी बिहार को सौंपी गई। आने वाले समय में कई और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं की मेजबानी के लिए राज्य में तैयारी चल रही है। कभी, खराब अवसंरचना के लिए ताने सुनने वाला बिहार आज अपनी खेल सुविधाओं और प्रतिभाओं के दम पर देश ही नहीं, विश्व पटल पर नाम स्थापित कर रहा है।

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