Edited By Nitika, Updated: 19 May, 2023 08:57 AM

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जातीय जनगणना पर रोक हटाने से उच्चतम न्यायालय का इनकार राज्य सरकार को ताजा झटका है।
पटनाः बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जातीय जनगणना पर रोक हटाने से उच्चतम न्यायालय का इनकार राज्य सरकार को ताजा झटका है।

सुशील मोदी ने जारी बयान में कहा कि यदि उच्च न्यायालय ने 03 जुलाई को सुनवाई नहीं की, तो उच्चतम न्यायालय 13 जुलाई को इस पर सुनवाई कर सकता है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलायी जानी चाहिए। भाजपा सांसद ने कहा कि जातीय जनगणना पर उच्च न्यायालय में कमजोर पैरवी कर सरकार ने इसे पहले ही उलझा दिया, जिससे इस सर्वे पर अंतरिम रोक लगी। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना कराने का निर्णय राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने पिछले साल जून में किया था। इस पर मकानों की गिनती के साथ काम शुरू करने में सात महीने की देर क्यों हुई।
"विशेष सत्र बुलाकर जातीय जनगणना के लिए कानून बनाना चाहिए"
वहीं मोदी ने कहा कि सरकार को तुरंत सर्वदलीय बैठक बुलाकर सबको विश्वास में लेना चाहिए और बताना चाहिए कि क्या प्रश्नावली बनी है, क्या तैयारी है। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़े तो विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर जातीय जनगणना के लिए कानून बनाना चाहिए। जातीय जनगणना का अकेले श्रेय लेने की मंशा से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्ष से संवाद स्थापित नहीं किया और न सर्वदलीय बैठक बुलाई।

भाजपा सांसद ने कहा कि जातीय जनगणना कराने का निर्णय भाजपा के सरकार में रहते हुआ था और इसके लिए विधानमंडल में दो बार प्रस्ताव पारित होने से लेकर प्रधानमंत्री से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में सम्मिलित रहने तक, हर स्तर पर पार्टी समर्थन में खड़ी रही। उन्होंने कहा कि नगर निकाय चुनाव में अतिपिछड़ों को आरक्षण देने के मामले में भी न्यायालय में सरकार की किरकिरी हुई थी और चुनाव टालने पड़े थे।