नीतीश की NDA में वापसी के सवाल पर सुशील मोदी की दो टूक, कहा- BJP को उनकी कोई जरूरत नहीं

Edited By Ramanjot, Updated: 25 Sep, 2023 05:09 PM

sushil modi bluntly on the question of nitish s return to nda

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने नीतीश की एनडीए में वापसी के सवाल पर दो टूक में जवाब दे दिया है। उन्होंने कहा है कि गृहमंत्री अमित शाह ने एक बार नहीं बल्कि कई बार स्पष्ट किया है कि नीतीश कुमार अब अगर नाक भी रगड़...

पटना (संजीव कुमार): आज बिहार के सीएम नीतीश कुमार पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती समारोह में शामिल होने के आरएसएस शाखा कार्यालय स्थित पार्क पहुंच गए। अमूमन बीजेपी ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती मनाती है। इस कार्यक्रम में सीएम के पहुंचने के बाद तरह- तरह के कयास लगाए जाने लगे। हालांकि बीजेपी ने नीतीश के एनडीए में शामिल होने के कयासों को नकार दिया है। 

"नीतीश में अब दो वोट भी ट्रांसफर करने की क्षमता नहीं" 
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने नीतीश की एनडीए में वापसी के सवाल पर दो टूक में जवाब दे दिया है। उन्होंने कहा है कि गृहमंत्री अमित शाह ने एक बार नहीं बल्कि कई बार स्पष्ट किया है कि नीतीश कुमार अब अगर नाक भी रगड़ लें तो भी बीजेपी का दरवाजा उनके लिए बंद हो गया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी नीतीश कुमार को साथ क्यों लेगी, उनमें अब बचा क्या है? नीतीश कुमार में अब दो वोट भी ट्रांसफर करने की क्षमता नहीं है।

"बीजेपी को नीतीश की कोई जरूरत नहीं"
सुशील मोदी ने कहा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी कुछ ही सिमट गई थी। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेडीयू के लिए प्रचार नहीं किया होता तो वो भी नहीं आती। चाहे आरजेडी हो या कांग्रेस नीतीश कुमार तो अब एक राजनीतिक बोझ हो चुके हैं और बीजेपी किसी बोझ को क्यों अपने सिर पर ढोने का काम करेगी। बीजेपी को नीतीश की कोई जरूरत नहीं है। बीजेपी अपने और अपने सहयोगियों के बलबूते लोकसभा और विधानसभा दोनों ही चुनावों में शानदार जीत दर्ज करेंगी। 

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शामिल होने के सवाल पर सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित की यह अच्छी बात है। इसमें किसी प्रकार की राजनीतिक छूआ छूत नहीं होनी चाहिए। चाहे लोहिया हों, अटल बिहारी बाजपेयी हों, दीनदयाल उपाध्याय हों या इंदिरा गांधी हों, इस किसी तरह की राजनीतिक भेदभाव नहीं होना चाहिए। जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों का त्याग किया और देश के लिए काम किया उनकी प्रतिमा अगर लगी है तो वहां लोगों को जाकर उन्हें नमन करना चाहिए।

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