Edited By Ramanjot, Updated: 10 Aug, 2025 03:51 PM
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दो छोटे बच्चे भूख से बिलख रहे हैं, घर में घुटनों तक पानी है, पशु चारा के बिना बेहाल हैं, और गांव के बाकी लोग रेलवे पटरी किनारे तंबू बनाकर रह रहे हैं। बिहार की राजनीति जब चुनाव की सरगर्मी में होती है तो नेता हर दरवाज़ा...
भागलपुर: "हमारा घर पानी में डूबा है, बच्चे भूखे हैं झोपड़ी में रह रहे हैं, लेकिन कोई सुनने नहीं आया" ये शब्द हैं रौशन कुमार के, जो कोसी की उफनती लहरों के बीच अपने परिवार को लेकर एक अस्थायी झोपड़ी में शरण लिए हुए हैं। दो छोटे बच्चे भूख से बिलख रहे हैं, घर में घुटनों तक पानी है, पशु चारा के बिना बेहाल हैं, और गांव के बाकी लोग रेलवे पटरी किनारे तंबू बनाकर रह रहे हैं। बिहार की राजनीति जब चुनाव की सरगर्मी में होती है तो नेता हर दरवाज़ा खटखटाते हैं लेकिन जब गांव डूबता है, तब सबकी आंखें बंद हो जाती हैं...