'डिग्री पाकर भी छात्रों के चेहरे पर नहीं है मुस्कान', दीक्षांत समारोह में बोले राज्यपाल

Edited By Khushi, Updated: 15 Oct, 2022 03:01 PM

there is no smile on the face of the students even after getting the degree

झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने बीते शुक्रवार पलामू जिले के मेदिनीनगर स्थित नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने 130 मेधावी छात्रों को प्रशस्ति पत्र और स्वर्ण पदक वितरित किए।

पलामू: झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने बीते शुक्रवार पलामू जिले के मेदिनीनगर स्थित नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने 130 मेधावी छात्रों को प्रशस्ति पत्र और स्वर्ण पदक वितरित किए। इस दौरान उन्होंने कहा है कि हमारे शिक्षण संस्थानों में पहले से कहीं अधिक विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। दीक्षा समारोह में छात्रों को मेडल और डिग्री मिलते समय उनके चेहरे से मुस्कान गायब है। हमें इस बात पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। हमारा जोर शिक्षा की गुणवत्ता पर होना चाहिए। उन्होंने छात्रों को हमेशा खुश रहने की सलाह भी दी।

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आपका सुनहरा भविष्य कर रहा है प्रतीक्षा 
राज्यपाल रमेश बैस ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि यदि छात्र कड़ी मेहनत करते हैं तो उनका करियर ग्राफ उज्जवल होगा। उन्होंने कहा कि आज से आपके जीवन की कसौटी आरंभ होती है। आपके सामने आपका सुनहरा भविष्य प्रतीक्षा कर रहा है। अब आपको जीवन में अपना मार्ग स्वयं ढूंढना है और बनाना है। दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के जीवन में विशेष महत्व रखता है। यह उनके जीवन का यादगार और मूल्यवान पल होता है। राज्यपाल ने कहा कि मैं चाहता हूं कि भविष्य में विश्वविद्यालय द्वारा समय पर दीक्षांत समारोह आयोजित किये जाते रहें ताकि विद्यार्थियों को समय पर डिग्री मिल सके।

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हमारा दायित्व डिग्रियां बांटने तक नहीं होना चाहिए सीमित 
राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए उसके विद्यार्थी ही उसकी पूंजी और ब्रांड एम्बेसेडर होता है। हमारा दायित्व सिर्फ विद्यार्थियों को किताबों तक सीमित रखना, उन्हें डिग्रियां बांटने तक ही सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि उनमें चेतना जागृत कर जीवन में बेहतर करने की भूख जगाना, उनकी प्रतिभा को उभारना, उनमें आत्मनिर्भरता पैदा करना और उन्हें एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व देना होना चाहिए।

दोनों भाइयों ने दिया बलिदान
राज्यपाल ने यहां लेफ्टिनेंट अनुराग शुक्ला को मरणोपरांत सम्मानित किया और उनके पिता जितेंद्र शुक्ला और उनकी पत्नी को स्वर्ण पदक प्रदान किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना 17 जनवरी 2009 को स्वतंत्रता सेनानियों नीलांबर और पीतांबर के नाम पर हुई थी। दोनों भाइयों ने ब्रिटिश शासन से लड़ते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया था और उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने पलामू में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था।

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