Edited By Ramanjot, Updated: 28 Sep, 2024 01:06 PM
ईडी ने लालू यादव पर अपराध से अर्जित आय के अधिग्रहण को छिपाने के लिए अपने परिवार के सदस्यों और सहयोगियों के साथ आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया है। ईडी ने आरोप लगाया है कि उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि भूखंड इस तरीके से हस्तांतरित किए जाएं कि उनकी...
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने की दिल्ली की एक अदालत से कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu prasad Yadav) और उनके परिवार के सदस्यों ने भारतीय रेलवे में नौकरियों के बदले जमीन के रूप में अवैध लाभ अर्जित किया। ईडी ने विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने के समक्ष इस मामले में दायर अपने पूरक आरोपपत्र में ये दलीलें दीं। अदालत ने 18 सितंबर के अपने आदेश में लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को भी तलब किया था, जिन्हें जांच एजेंसी ने आरोपी के रूप में नामित नहीं किया है।
"सात में से छह भूखंड राबड़ी देवी से जुड़े थे"
ईडी ने लालू यादव पर अपराध से अर्जित आय के अधिग्रहण को छिपाने के लिए अपने परिवार के सदस्यों और सहयोगियों के साथ आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया है। ईडी ने आरोप लगाया है कि उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि भूखंड इस तरीके से हस्तांतरित किए जाएं कि उनकी प्रत्यक्ष भागीदारी अस्पष्ट हो और उनके परिवार को लाभ हो सके। एजेंसी ने आरोप लगाया कि जब लालू रेल मंत्री थे, तब मुख्य रूप से पटना के महुआ बाग में जमीन मालिकों को रेलवे में नौकरियां देने के वादे के साथ कम कीमत पर अपनी जमीन बेचने के लिए राजी किया गया था। ईडी ने आरोप लगाया है, ‘‘इनमें से कई भूखंड पहले से ही यादव परिवार के पास मौजूद जमीन के पास स्थित थे। इस मामले में सात में से छह भूखंड राबड़ी देवी से जुड़े थे और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त किए गए थे।'' इसमें कहा गया है कि जांच से पता चला है कि ए. के. इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और अन्य संस्थाओं का इस्तेमाल भूमि अधिग्रहण और ‘जमीन के बदले नौकरी' योजना के बीच संबंध को और अधिक परतदार और अस्पष्ट करने के लिए किया गया।
ईडी के अनुसार, साजिश के तहत सह-अभियुक्त अमित कात्याल ने एके इंफोसिस्टम्स का स्वामित्व, जिसके पास मूल्यवान जमीन थी, मामूली कीमत पर राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को हस्तांतरित कर दिया। ईडी ने कहा है कि लालू के करीबी सहयोगी भोला यादव की पहचान इन लेनदेन में मुख्य सूत्रधार के रूप में की गई है। इसमें दावा किया गया है कि उसने यादव परिवार की संपत्ति के पास के भूस्वामियों को रेलवे में नौकरी के बदले में अपनी संपत्ति बेचने के लिए राजी करने की बात स्वीकार की है। ईडी ने कहा है कि इन सौदों को लालू प्रसाद के परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए संरचित किया गया था, जिसमें राबड़ी देवी के निजी कर्मचारियों हृदयानंद चौधरी और लल्लन चौधरी जैसे मध्यस्थों के माध्यम से संपत्तियां हस्तांतरित की गईं, दोनों इस मामले में सह-आरोपी हैं।
"विचाराधीन संपत्तियों को रिश्तेदारों से उपहार के रूप में दिखाया गया था"
इसमें कहा गया है कि विचाराधीन संपत्तियों को अक्सर दूर के रिश्तेदारों से उपहार के रूप में दिखाया गया था, लेकिन मीसा भारती ने इन व्यक्तियों को जानने से इनकार किया है। न्यायाधीश ने आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ पूरक आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के बाद उन्हें तलब किया है। ईडी ने कहा है कि यह मामला 2004 से 2009 तक रेल मंत्री के रूप में प्रसाद के कार्यकाल के दौरान मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र में ग्रुप-डी की नियुक्तियों से संबंधित है। ईडी के मुताबिक राजद प्रमुख के परिवार या सहयोगियों को हस्तांतरित की गई या तोहफे में दी गई जमीन के बदले ये नियुक्तियां की गईं।