खुद संकट में फंसे संकट हरण पवनसुत हनुमान, 26 साल बाद कैद से छुड़ाएगा पटना का महावीर मंदिर

Edited By Nitika, Updated: 05 Jun, 2022 02:15 PM

बिहार के भोजपुर में संकट हरण पवनसुत हनुमान खुद संकट में फंस गए हैं। माता सीता की खोज में समुद्र लांघ जाने वाले हनुमान आज पुलिस की कैद में हैं। करीब 26 वर्षों से उनकी मूर्ति भोजपुर के कृष्णागढ़ थाने के माल खाने में पड़ी है।

 

 

 

भोजपुरः बिहार के भोजपुर में संकट हरण पवनसुत हनुमान खुद संकट में फंस गए हैं। माता सीता की खोज में समुद्र लांघ जाने वाले हनुमान आज पुलिस की कैद में हैं। करीब 26 वर्षों से उनकी मूर्ति भोजपुर के कृष्णागढ़ थाने के माल खाने में पड़ी है। इतने सालों में उनको कोई जमानतदार तक नहीं मिल सका। सुनने में भले ही अटपटा लग रहा हो, लेकिन बात सौ प्रतिशत सच है।
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दरअसल, मामला भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड के गुंडी गाव स्थित श्री रंगनाथ स्वामी जी के मंदिर की है. यहां 1994 में चोरी हुई थी। तब चोरों ने भगवान श्री रामानुज स्वामी और हनुमान जी की अष्टधातु की कीमती मूर्ति चोरी कर ली थी। बाद में आरा के नगर थाना क्षेत्र के सिंगही गांव के बगीचा में हनुमान जी की मूर्ति बरामद कर ली गई, लेकिन रामानुज स्वामी जी भगवान की मूर्ति आज तक बरामद नहीं हो सकी। हनुमान जी की मूर्ति बरामदगी के बाद उनका मूल्यांकन लगभग 42 लाख रुपए किया गया। तब कोर्ट की ओर से मूर्ति की जमानत के लिए उतने रुपए का ही जमानतदार मांगा जा रहा था, लेकिन कोई भी इतने रुपए का जमानतदार बनने को तैयार नहीं हुआ।

जमानतदार के इंतजार में बजरंगबली
काफी प्रयास करने के बाद मूर्ति की सुरक्षा की गारंटी के बाद इसे थाने से रिलीज करने की बात आई। इसके लिए भी कोई तैयार नहीं हुआ। इस कारण आज बजरंगबली की मूर्ति कृष्णा गढ़ थाने के माल खाने में कैद है। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि प्रभु श्री राम के अनन्य भक्तों और अपने भक्तों को एक जमानतदार का इंतजार है। इस संबंध में कृष्णागढ़ थानाध्यक्ष अरविंद कुमार ने बताया कि माल खाने में जब्त हनुमान जी की मूर्ति को रिलीज करवाने के लिए आवेदन फ़ाइल करना होगा। इसके बाद पुलिस की और से जांच प्रतिवेदन समर्पित की जाएगी।

हनुमान जी को बाहर निकालेगा पटना का महावीर मंदिर
भोजपुर जिले के कृष्णागढ़ थाने में बीते 26 वर्षों से कैद हनुमान जी के धातु की मूर्ति को छुड़ाने के लिए अब पटना के महावीर मंदिर न्यास ने पहल की है। महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य कुणाल किशोर ने गुरुवार को भोजपुर पुलिस अधीक्षक से फोन पर बात कर जमानत की पेशकश की। मूर्ति को थाने से छुड़ाने के लिए कोर्ट से अनुमति लेनी होगी और जमानत की राशि 42 लाख रुपए जमा करना होगा। आचार्य कुणाल किशोर में हनुमान जी की मूर्ति वापस आने पर भोजपुर पुलिस की ओर से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होने पर जमानत का प्रस्ताव रखा है।
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3 बार हो चुकी है मंदिर में चोरी
मंदिर के कर्ताधर्ता डॉ. बबन सिंह ने बताया कि मंदिर में पहली चोरी 1969 में हुई थी। उस दौरान चोरों ने गोदाम्बा, रंगनाथ भगवान, राम और जानकी की मूर्ति चोरी हुई थी। उसके बाद चोरों ने दूसरी चोरी करीब 10 साल के बाद किया, जिसमें गरुड़ जी, शतकोप स्वामी और बर्बर मुनि स्वामी की प्रतिमा चोरी हुई। वहीं चोरों ने एक बार फिर से सन 1994 में तीसरी बार चोरी की घटना को अंजाम दिया। इस चोरी में चोरों ने अष्टधातु के हनुमान जी और रामानुज स्वामी की मूर्ति चुरा ली, लेकिन ग्रेनाइट की सभी मूर्ति अभी भी मंदिर में ही है।

8 वर्षों से कैद में राम भक्त हनुमान
राम और लक्ष्मण जी को जब अहिरावण अपने साथ छल कपट से कैद कर लेता है। इस दौरान हनुमान जी अहिरावण का वध कर राम और लक्ष्मण को कैद मुक्त करते है, लेकिन आज खुद हनुमान कृष्णा गढ़ थाने के माल खाने में कैद है और अभी तक उनको मुक्त करने के लिए कोई हनुमान नहीं बन सका है। लगभग 28 वर्ष बीत चुके है। गांव वाले भी उस मूर्ति का इंतजार कर रहे है। अभी तक हनुमान जी की मूर्ति की पुनः स्थापना मंदिर में नहीं हो पाई है। भगवान राम आज भी अपने भक्त हनुमान से दूर है।

1840 में बना दक्षिण भारत शैली पर आधारित मंदिर
मंदिर के बारे में डॉक्टर युगल किशोर सिंह उर्फ बबन सिंह ने बताया कि मंदिर का निर्माण 1840 में हुआ था, जिसे चौ बाबु विष्णु देव नारायण सिंह ने बनवाया था। मंदिर निर्माण के दौरान बहुत कठिनाइयां सामने आ रही थी। क्योंकि मंदिर दक्षिण भारत शैली पर आधारित है। उन्होंने बताया कि उस समय मंदिर बनाने के लिए शिल्पकार यहां नहीं मिल रहे थे। इसलिए बाबु विष्णुदेव नारायण सिंह को मद्रास जाकर सभी कारीगरों को लाना पड़ा था और मद्रास नंगुनेरी मठ से प्रेरणा मिली थी कि इस पद्धति पर आधारित एक मंदिर अपने यहां भी बनाया जाए, जिसके बाद मंदिर का निर्माण शुरू हुआ।
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चुनारगढ़ के पत्थर से बना ऐतिहासिक मंदिर
बाबु विष्णु देव नारायण सिंह के परपोते बबन सिंह ने बताया कि इस मंदिर में एक भी ईट नहीं है। इस मंदिर का निर्माण केवल पत्थरों से करवाया गया है। पूरे मंदिर में केवल बड़े-बड़े पत्थर है, जिसे उस समय चुनारगढ़ से संग्रह करने के बाद सभी पत्थरों को बैलगाड़ी की मदद से लाया गया था। उसके बाद मंदिर बना। सभी मूर्तियां को मद्रास से लाया गया था। मंदिर निर्माण के बाद तीन गर्भगृह बनाया गया।पहले गर्भगृह में रंगनाथ भगवान, गोदा अंबा और गरुड़ की प्रतिमा है। दूसरे गर्भगृह में राम, लक्ष्मण और जानकी की प्रतिमा है और तीसरे गर्भ में तिरुपति बालाजी वेंकटेश भगवान की प्रतिमा है।

बबन सिंह ने बताया कि मंदिर में 2 तरह की मूर्तियां रखी गई थी। एक अष्टधातु की बनी हुई मूर्तियां थी और एक ग्रेनाइट पत्थर की बनी बड़ी-बड़ी मूर्तियां थी। अष्टधातु की सभी मूर्तियां मंदिर से एक-एक कर चोरी हो गई, लेकिन ग्रेनाइट के पत्थर की बनी मूर्ति काफी भारी और बड़ी है। इस वजह से चोरी नहीं हुई और वो अभी भी मंदिर में है। उनका कहना है कि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता नहीं होने को लेकर हनुमान जी की बरामद मूर्ति दोबारा इस मंदिर में स्थापित नहीं हो सकी। यह बहुत दुखद है।

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