अरावली खतरे में! 100 मीटर से कम ऊंची पहाड़ियों पर खनन की अनुमति, राजस्थान में बढ़ सकता है मरुस्थल

Edited By Ramanjot, Updated: 19 Dec, 2025 10:57 AM

aravalli hills are in danger mining permitted in aravalli mountain range

Aravalli hills: पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अरावली के इन हिस्सों में बड़े पैमाने पर खनन शुरू हुआ, तो राजस्थान में रेगिस्तान का विस्तार और तेज हो सकता है। अरावली पर्वतमाला पश्चिमी रेगिस्तान को पूर्वी भारत की ओर बढ़ने से रोकने में अहम...

Aravalli hills:देश में खनन गतिविधियों से पहाड़ों के लगातार हो रहे नुकसान के बीच सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला पर्यावरण विशेषज्ञों और राजस्थान के लोगों के लिए चिंता का कारण बन गया है। 20 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्णय देते हुए 100 मीटर से कम ऊंचाई वाले पहाड़ों पर खनन की अनुमति दे दी है। यह फैसला विशेष रूप से राजस्थान और अरावली पर्वतमाला के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 

अरावली पर्वतमाला पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

अरावली पर्वतमाला को राजस्थान की जीवनरेखा कहा जाता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद इसके भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, अरावली का लगभग 90% हिस्सा अब 100 मीटर से कम ऊंचाई का रह गया है। अदालत ने कहा है कि ऐसे भूभागों को अब पहाड़ी श्रेणी में नहीं माना जाएगा, जिससे वहां खनन गतिविधियों का रास्ता खुल सकता है। 


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राजस्थान में बढ़ सकता है मरुस्थल 

पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अरावली के इन हिस्सों में बड़े पैमाने पर खनन शुरू हुआ, तो राजस्थान में रेगिस्तान का विस्तार और तेज हो सकता है। अरावली पर्वतमाला पश्चिमी रेगिस्तान को पूर्वी भारत की ओर बढ़ने से रोकने में अहम भूमिका निभाती है।

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मानसून और कृषि पर पड़ेगा असर 

अरावली पर्वतमाला मानसून प्रणाली को नियंत्रित करने में मदद करती है। इसकी ऊंचाई कम होने से:

  • मानसून की बारिश प्रभावित हो सकती है
  • कृषि उत्पादन में गिरावट आ सकती है
  • तापमान में वृद्धि और गर्म हवाओं का प्रभाव बढ़ सकता है
  • जल संकट और गहराने की आशंका है
     

अरावली: विश्व की सबसे पुरानी पर्वतमाला

अरावली पर्वतमाला को दुनिया की सबसे पुरानी वलित पर्वतमालाओं में गिना जाता है। इसकी कुल लंबाई 692 किलोमीटर है, जिसमें से करीब 550 किलोमीटर राजस्थान में फैली हुई है।


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खनन से होने वाले संभावित नुकसान

अरावली के क्षरण से कई गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं:

  • मरुस्थलीकरण में वृद्धि
  • मानसून की अनियमितता
  • नदियों और जलस्रोतों का सूखना
  • कृषि क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव
  • भूगर्भीय संरचना और जैव विविधता को नुकसान

पर्यावरण संरक्षण पर उठे सवाल

इस फैसले के बाद राजस्थान में पर्यावरण और जलवायु सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। अरावली पर्वतमाला राज्य के जीवन, कृषि और जल संसाधनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते इसके संरक्षण के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो इसके दुष्परिणाम आने वाली पीढ़ियों को भुगतने पड़ सकते हैं।
 

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