Edited By Ramanjot, Updated: 22 Dec, 2025 10:28 PM

कृषि विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार की अध्यक्षता में आज कृषि भवन, पटना के सभागार में राज्य में दलहन, तिलहन एवं मक्का फसलों के क्षेत्र विस्तार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कृषि वैज्ञानिकों एवं किसानों के साथ एक परिचर्चा का आयोजन किया गया।
Bihar Agriculture News: कृषि विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार की अध्यक्षता में आज कृषि भवन, पटना के सभागार में राज्य में दलहन, तिलहन एवं मक्का फसलों के क्षेत्र विस्तार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कृषि वैज्ञानिकों एवं किसानों के साथ एक परिचर्चा का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि उन्नत किस्म के बीजों के उपयोग और गहन खेती की तकनीकों को अपनाकर किसान दलहन एवं तिलहन के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में कृषि को केवल जीवन निर्वहन का साधन न मानकर किसानों की समृद्धि का सशक्त माध्यम बनाने की दिशा में कृषि विभाग निरंतर प्रयासरत है।
उन्होंने कहा कि बिहार में हमने पिछले 20 वर्षों में बहुत-सी उपलब्धियां हासिल की हैं। धान और गेहूं का उत्पादन बढ़ाने में हमने बड़ी कामयाबी हासिल की है। अब हमें दलहन और तिलहन के उत्पादन को बढ़ाना है। साथ ही, बिहार में चिया सीड के उत्पादन को बढ़ावा देने और अंतरवर्तीय खेती को प्रोत्साहित करने से किसानों को अतिरिक्त आय के अवसर मिलेंगे।

आज बिहार के कोसी क्षेत्र में काफी अधिक मात्रा में मक्का उत्पादित हो रहा है और यहां अब यह नकदी फसल का रूप ले चुका है। मक्का के उत्पादन में वृद्धि और इससे जुड़े व्यवसाय में विकास की काफी संभावना है। इससे जुड़े उद्योग लगाए जाएं तो काफी लोगों को रोजगार मिल सकता है। सरकार कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को सस्ती बिजली दे रही है। इसका लाभ उठाकर किसान खाली पड़े खेतों में इन फसलों की खेती शुरू करें। अब समय आ गया है कि बिहार के किसान कृषि से जुड़े व्यवसाय में भी आगे बढ़ें।
इस मौके पर कृषि विभाग के विशेष सचिव, डॉ॰ बीरेन्द्र प्रसाद यादव ने कृषि वैज्ञानिकों से उन्नत किस्म के बीज और उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष कदम उठाने की बात कही। वहीं, कृषि विभाग के निदेशक, सौरभ सुमन यादव ने कहा कि आज की परिचर्चा दलहन, तिलहन और मक्का के उत्पादन को बढ़ाने में प्रभावी सिद्ध होगी। फसलों में विविधता लाकर खाद्य सुरक्षा को बढ़ाया जा सकता है।
इस दौरान कृषि वैज्ञानिकों ने तकनीकी सत्र में किसानों को खेती के गुर सिखाए, जिससे कम लागत में अधिक से अधिक उत्पादन किया जा सकता है। बड़ी संख्या में किसानों ने इस परिचर्चा में भाग लिया और कृषि से जुड़ी नई तकनीकों की जानकारी हासिल कर लाभान्वित हुए।