Edited By Ramanjot, Updated: 24 Aug, 2023 04:49 PM

मामले की प्राथमिकी भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की अलग अलग धाराओं में दर्ज की गई थी लेकिन लगभग 35 वर्ष बीत जाने के बाद भी उक्त मामले में पुलिस ने कोई प्रगति रिपोर्ट या पुलिस रिपोर्ट नहीं दाखिल की अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि अदालत से वर्ष...
पटना: बिहार में पटना के कोतवाली थाना में दर्ज 35 वर्ष पुराने भ्रष्टाचार के एक मामले में कोई कार्रवाई नहीं होने को लेकर निगरानी की विशेष अदालत ने वरीय पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को एक पत्र जारी कर चिंता प्रकट की।
विशेष न्यायाधीश मोहम्मद रुस्तम की अदालत से पटना के एसएसपी को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि वर्ष 1988 में कोतवाली थाने में एक मुकदमा संख्या 1277/1988 दर्ज किया गया था। उक्त मामले में उत्तर प्रदेश के बलिया जिला निवासी प्रेमशंकर श्रीवास्तव को अभियुक्त बनाया गया था। मामले की प्राथमिकी भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की अलग अलग धाराओं में दर्ज की गई थी लेकिन लगभग 35 वर्ष बीत जाने के बाद भी उक्त मामले में पुलिस ने कोई प्रगति रिपोर्ट या पुलिस रिपोर्ट नहीं दाखिल की अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि अदालत से वर्ष 2021 से इस मामले में प्रगति रिपोर्ट मांगे जाने के बावजूद कोई रिपोर्ट नहीं सौंपी गई जबकि एसएसपी ने अदालत से प्राप्त पत्र के आधार पर कोतवाली थाना अध्यक्ष को न्यायालय में उपस्थित होकर उपरोक्त मामले के अलावा दो अन्य मामलों में भी प्रतिवेदन समर्पित करने का निर्देश दिया था।
मामले में अंतिम रिपोर्ट दाखिल की जाए: कोर्ट
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि कोतवाली थाना से प्राप्त एक रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले का अभिलेख नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में यदि कोई अभिलेख नहीं है तो न्यायालय में उपलब्ध प्राथमिकी के आधार पर पुन: संरचना कर मामले में अंतिम रिपोर्ट दाखिल की जाए। अदालत ने यह भी कहा है कि अभियुक्त के बारे में पता किया जाए कि वह सरकारी सेवा में है या नहीं या जीवित भी है या नहीं। अदालत ने अपने आदेश में एसएसपी से अपेक्षा की है कि वह स्वयं अपने स्तर से इस मामले में कारगर कार्रवाई करें। अदालत ने इस आदेश की एक प्रति पुलिस महानिदेशक को भी भेजे जाने का आदेश दिया है।