Edited By Ramanjot, Updated: 29 Jul, 2023 04:54 PM

दरअसल 'वर्ल्ड टाइगर डे’ की शुरुआत को लेकर साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में अंतरराष्ट्रीय बाघ सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसमें वर्ल्ड के 13 देशों ने हिस्सा लिया, जिसमें 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था। वैसे तो...
पश्चिमी चंपारण: बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाईगर रिजर्व में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 2010 में जब भारत में टाईगर डे की शुरुआत हुई थी तब यहां बाघों की संख्या 30 से 35 के करीब थी, लेकिन आज यहां बाघों का आंकड़ा 50 के करीब जा पहुंचा है। वहीं बाघों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर बिहार ने देश के 6 राज्यों को पीछे छोड़ कृतिमान स्थापित किया है।
दरअसल 'वर्ल्ड टाइगर डे’ की शुरुआत को लेकर साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में अंतरराष्ट्रीय बाघ सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसमें वर्ल्ड के 13 देशों ने हिस्सा लिया, जिसमें 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था। वैसे तो साल 2008 में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में महज 8 बाघ थे लेकिन बाघों के संरक्षण और संवर्धन पर जोर देने के कारण अब उनकी संभावित संख्या 50 के पार होने का अनुमान है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इनकी संख्या 47 बताई जा रही है जिसमें शावक शामिल नहीं हैं।
वहीं, वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड और ग्लोबल टाइगर फोरम की ओर से जारी 2016 के आंकड़ों में बताया गया कि पूरी दुनिया में तकरीबन 6000 ही बाघ बचे हैं जिनमें से 3891 बाघ इंडिया में मौजूद हैं। यूपी और नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकि टाईगर रिजर्व में भी रॉयल बंगाल टाइगर पाए जाते हैं। बाघों के संरक्षण को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। स्कूली छात्रों के साथ साथ जनसहभागिता की कवायद तेज है।