Edited By Swati Sharma, Updated: 03 Oct, 2023 02:00 PM

गांधी जयंती के दिन बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना का रिपोर्ट जारी कर दिया है। वहीं, रिपोर्ट जारी होने के साथ ही सियासत भी तेज हो गई। एक तरफ बिहार सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी सवाल उठा रही है। इसी बीच पटना के अलग-अलग चौक और...
पटनाः गांधी जयंती के दिन बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना का रिपोर्ट जारी कर दिया है। वहीं, रिपोर्ट जारी होने के साथ ही सियासत भी तेज हो गई। एक तरफ बिहार सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी सवाल उठा रही है। इसी बीच पटना के अलग-अलग चौक और चौराहों पर भाजपा नेता कौशल कुशवाहा की ओर से बड़े-बड़े पोस्टर लगवाए गए हैं।
कुशवाहा विरोधी नीतीश तेजस्वी की सरकार
पोस्टर में ऊपर लिखा गया है कि कुशवाहा विरोधी नीतीश तेजस्वी की सरकार हैं। बिहार सरकार द्वारा जारी की गई जाति आधारित सूची भेदभाव, त्रुटि पूर्ण और कुशवाहा समाज की आबादी को कम दिखलाने की साजिश की गई है, जिसे हम पुरजोर विरोध करते हैं। केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि साजिश का पोल खोलने के लिए जल्द से जल्द सही जाति जनगणना करा कर सही आंकड़ा प्रस्तुत करें। कुशवाहा समाज के बेटा सम्राट चौधरी से तुम लोग इतना डर गए की जातीय जनगणना में ही घोटाला करवा दिया।

बिहार में 63 प्रतिशत से अधिक ओबीसी और ईबीसी
बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के निष्कर्ष जारी किए, जिसमें खुलासा हुआ कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत है। बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से 36 प्रतिशत के साथ ईबीसी सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है। इसके बाद ओबीसी 27.13 प्रतिशत हैं।