Edited By Ramanjot, Updated: 27 Jun, 2022 10:57 AM

बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट का संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले गिरिराज सिंह तपस्वी-सह-किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मुजफ्फरपुर में थे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं स्वामी जी के उदाहरण का अनुसरण करता...
मुजफ्फरपुरः केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने रविवार को कहा कि वह ‘‘बांग्लादेशी घुसपैठियों'' को बिहार में जाति आधारित जनगणना में शामिल करके वैधता देने के किसी भी प्रयास का कड़ा विरोध करेंगे।
बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट का संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले गिरिराज सिंह तपस्वी-सह-किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मुजफ्फरपुर में थे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं स्वामी जी के उदाहरण का अनुसरण करता हूं, जिनका जन्म एक भूमिहार परिवार में हुआ था, लेकिन वह हमेशा जमात (समाज) के बारे में सोचते थे, जात (जाति) के बारे में नहीं।'' भाजपा नेता से केंद्र के इनकार के बाद राज्य में नीतीश कुमार सरकार द्वारा जाति आधारित जनगणना कराए जाने के संबंध में भी सवाल किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें जनगणना को लेकर कोई समस्या नहीं है लेकिन इसके तहत मुसलमानों के बीच जाति भेद को ध्यान में रखना चाहिए। इसके अलावा, अगर बांग्लादेशी घुसपैठिए को इस कवायद में शामिल किया जाता है, तो हम इसका कड़ा विरोध करेंगे।''
जाति आधारित जनगणना के लिए मुख्यमंत्री की पार्टी जद (यू) और उनकी प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) श्रेय लेने का दावा कर रही हैं, इसका उद्देश्य अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को शांत करना है जोकि संख्यात्मक रूप से शक्तिशाली हैं और तीन दशक पहले मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किए जाने के बाद से बिहार में राजनीति पर हावी रहे हैं। मुख्य रूप से उच्च जाति के हिंदुओं की पार्टी के रूप में देखी जाने वाली भाजपा ने सर्वदलीय बैठक में कुछ आपत्तियां व्यक्त की थीं, जिसके बाद इस महीने की शुरुआत में जनगणना के लिए कैबिनेट की मंजूरी मिली थी।
केंद्र में सत्तारूढ़ और राज्य में सत्ता साझा करने वाली भाजपा की पहली आपत्ति यह थी कि उच्च जाति के मुसलमानों को उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बारे में गलत जानकारी देकर ओबीसी कोटे का लाभ उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। दूसरी आपत्ति यह थी कि अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को इस कवायद से बाहर रखा जाना चाहिए, जिनकी पड़ोसी देश के करीब सीमांचल क्षेत्र में बड़ी संख्या में होने की अफवाह है, ऐसा न हो कि वे नागरिक होने का दावा करना शुरू कर दें और संबंधित लाभों की मांग करें।