Edited By Ramanjot, Updated: 07 Jan, 2023 10:48 AM

Sushil Kumar Modi: सुशील मोदी ने शुक्रवार को बयान जारी कर आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समाधान यात्रा के दौरान चंपारण में सैकड़ों युवाओं को हाउस अरेस्ट करके रखा गया है। उन्होंने सवाल किया कि क्या युवाओं को घरों में नजरबंद करना समस्या का...
पटना: बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया कि सचिवालय सहायक पद के परीक्षार्थियों और शिक्षक अभ्यर्थियों में व्याप्त रोष के डर से नीतीश कुमार की यात्रा के दौरान चंपारण में सैंकड़ों युवाओं को घरों में नजरबंद रखा गया, जो शर्मनाक है।
"क्या युवाओं को नजरबंद करना समस्या का समाधान है"
सुशील मोदी ने शुक्रवार को बयान जारी कर आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समाधान यात्रा के दौरान चंपारण में सैकड़ों युवाओं को हाउस अरेस्ट करके रखा गया है। उन्होंने सवाल किया कि क्या युवाओं को घरों में नजरबंद करना समस्या का समाधान है। उन्होंने कहा कि राजधानी पटना में परीक्षार्थियों पर लाठीचार्ज को जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह जायज ठहरा रहे हैं और घटना के 48 घंटे बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिनके पास गृह विभाग भी है, वह कह रहे हैं कि उन्हें लाठीचार्ज की जानकारी ही नहीं है। उन्होंने कहा कि जदयू अध्यक्ष ललन सिंह का ऐसा बयान संवेदनहीनता का सूचक है और मुख्यमंत्री को घटना की जानकारी न होना चिंता की बात है।
"लाठीचार्ज पर अनभिज्ञता का नाटक कर रहे मुख्यमंत्री"
भाजपा सांसद ने कहा कि लाठीचार्ज पर या तो मुख्यमंत्री अनभिज्ञता का नाटक कर रहे हैं या अफसर उन्हें गुमराह कर रहे हैं। ये दोनों बातें चिंताजनक हैं। उन्होंने कहा कि पहले बीपीएससी का पर्चा लीक हुआ और आठ साल बाद जब सचिवालय सहायक पद के लिए परीक्षा हुई, तो इसके भी प्रश्नपत्र सार्वजानिक हो गए। इससे नौ लाख परीक्षार्थियों में असंतोष होना स्वाभाविक है। उनकी उम्र बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि बिहार में बार-बार पर्चे क्यों लीक हो रहे हैं। परीक्षार्थी अब यदि पूरी परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं, तो सरकार इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न क्यों बना रही है। उन्होंने कहा कि रेलवे की परीक्षा में डेढ़ करोड़ परीक्षार्थी बैठते हैं, लेकिन न कभी पर्चा लीक हुआ, न धांधली की शिकायत मिली।
मोदी ने कहा कि राज्य सरकार को बड़े पैमाने पर नौकरी-नियुक्ति की सभी परीक्षाएं कंप्यूटर-आधारित या ऑनलाइन करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार फूलप्रूफ परीक्षाओं के लिए केंद्र सरकार की तरह टीसीएस जैसी सॉफ्टवेयर कंपनियों की सेवाएं ले सकती है लेकिन मुख्यमंत्री की रुचि किसी समस्या का समाधान करने में नहीं, 'समाधान यात्रा' की राजनीति करने में है।