Jharkhand News: पेसा नियमावली पर हाईकोर्ट का रुख सख्त, सरकार से मांगा स्पष्ट टाइम फ्रेम; 13 जनवरी को अगली सुनवाई

Edited By Harman, Updated: 23 Dec, 2025 05:01 PM

jharkhand high court takes tough stand on pesa rules

रांची: झारखंड हाईकोर्ट में पेसा (पंचायत विस्तार अधिनियम) नियमावली से जुड़ी अवमानना याचिका पर मंगलवार को चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में सुनवाई हुई। झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने बताया कि इस दौरान पंचायती राज विभाग...

रांची: झारखंड हाईकोर्ट में पेसा (पंचायत विस्तार अधिनियम) नियमावली से जुड़ी अवमानना याचिका पर मंगलवार को चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में सुनवाई हुई। झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने बताया कि इस दौरान पंचायती राज विभाग के सचिव मनोज कुमार सशरीर अदालत में उपस्थित हुए और सरकार की ओर से स्थिति स्पष्ट की। 

सरकार का पक्ष: पेसा नियमावली का ड्राफ्ट तैयार, कैबिनेट को भेजा गया

सचिव ने कोर्ट को अवगत कराया कि पेसा नियमावली का प्रारूप (ड्राफ्ट) तैयार कर लिया गया है और इसे कैबिनेट के समक्ष भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि मसौदा किसी भी समय कैबिनेट में पेश किया जा सकता है। सरकार की ओर से दलीलें रखने के बाद मामले में समय की मांग की गई, जिसे स्वीकार करते हुए खंडपीठ ने अगली सुनवाई की तिथि 13 जनवरी निर्धारित की है। इससे पूर्व 18 दिसंबर को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पेसा नियमावली अब तक लागू नहीं होने पर कड़ी नाराजगी जताई थी। तब चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने पंचायती राज विभाग के सचिव को 23 दिसंबर की सुनवाई में स्पष्ट टाइम फ्रेम बताने का निर्देश दिया था। उस समय भी सरकार की ओर से यह कहा गया था कि मामला कैबिनेट को भेजा जा चुका है।  

"13 महीने बाद भी नियमावली लागू नहीं हुई"

बता दें कि याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभिषेक रॉय ने अदालत में पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि जनहित याचिका में पारित आदेश के 13 महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अब तक पेसा नियमावली लागू नहीं की गई है, जो न्यायालय के आदेश की अवहेलना है। उल्लेखनीय है कि पेसा नियमावली लागू नहीं होने के विरोध में आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई है। इससे पहले 9 सितंबर को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य में बालू और अन्य लघु खनिजों के आवंटन पर रोक लगा दी थी। राज्य सरकार ने 4 दिसंबर को इस रोक को हटाने का आग्रह किया था, लेकिन अदालत ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।


 

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