Edited By Harman, Updated: 28 Oct, 2025 01:17 PM

Jharkhand News: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने झारखंड में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के संबंध में खराब अनुपालन पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए राज्य सरकार से शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) वार विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। न्यायमूर्ति प्रकाश...
Jharkhand News: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने झारखंड में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के संबंध में खराब अनुपालन पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए राज्य सरकार से शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) वार विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और डॉ. ए सेंथिल वेल की अध्यक्षता वाली एनजीटी की मुख्य पीठ (नयी दिल्ली) ने पाया कि झारखंड में प्रतिदिन 2,483 टन (टीपीडी) ठोस अपशिष्ट उत्पन्न होता है जिसमें से 2,307 टीपीडी का प्रसंस्करण किया जाता है।
अगली सुनवाई 21 अप्रैल 2026 को होगी
एनजीटी ने सोमवार को अपने आदेश में कहा कि राज्य के 29 शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) में 176 टीपीडी कचरा एकत्र नहीं किया जाता। इस संबंध में अगली सुनवाई 21 अप्रैल, 2026 को होगी। झारखंड राज्य द्वारा नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 और अन्य पर्यावरणीय दायित्वों के अनुपालन के संबंध में 22 सितंबर को मामले की सुनवाई हुई। पीठ ने पाया कि राज्य द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट अधूरी है और वास्तविक स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करती तथा प्रत्येक शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) के लिए कार्य योजनाएं भी उपलब्ध नहीं कराई गईं।
आदेश में कहा गया है, ‘‘कचरा उत्पादन (2,483 टीपीडी) और अपशिष्ट प्रसंस्करण (2,307 टीपीडी) के बीच अंतर है। यूएलबी-वार ठोस अपशिष्ट उत्पादन, घर-घर जाकर संग्रहण और अंतिम निपटान सहित प्रसंस्करण का विवरण अगली रिपोर्ट में प्रदान किया जाए।'' इसमें कहा गया, ‘‘हमने पाया है कि पांच जैव-मीथेनेशन संयंत्र स्थापित किए गए हैं लेकिन उनके प्रदर्शन की जानकारी नहीं दी गई है। रांची में 150 टीपीडी क्षमता वाला संयंत्र केवल 30 टीपीडी प्रसंस्करण कर रहा है। इसी प्रकार देवघर और जमशेदपुर में खाद संयंत्रों के प्रदर्शन का खुलासा किया जाना चाहिए।''