दिल्ली में सजेगा बिहार का रंग: बिहार उत्सव 2025 में दिखेगी समृद्ध कला, संस्कृति और परंपरा की झलक

Edited By Ramanjot, Updated: 17 Mar, 2025 08:26 PM

bihar s color will be seen in delhi

बिहार की अद्वितीय कला, संस्कृति और परंपरा को राष्ट्रीय राजधानी में प्रदर्शित करने के लिए बिहार उत्सव 2025 का भव्य आयोजन दिल्ली हाट, आईएनए में 16 से 31 मार्च तक किया जा रहा है।

नई दिल्ली: बिहार की अद्वितीय कला, संस्कृति और परंपरा को राष्ट्रीय राजधानी में प्रदर्शित करने के लिए बिहार उत्सव 2025 का भव्य आयोजन दिल्ली हाट, आईएनए में 16 से 31 मार्च तक किया जा रहा है। यह उत्सव न केवल बिहार के पारंपरिक शिल्प और कला को प्रदर्शित करेगा, बल्कि राज्य के समृद्ध लोकसंगीत, नृत्य और व्यंजनों का अनूठा अनुभव भी प्रदान करेगा। इस अवसर पर बिहार के ग्रामीण कारीगर, बुनकर और हस्तशिल्पी अपनी कला का जीवंत प्रदर्शन कर रहे हैं।

बिहार दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की झलक

22 मार्च को बिहार दिवस के अवसर पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसमें बिहार की पारंपरिक लोकसंस्कृति की झलक मिलेगी। इस दौरान लोक संगीत, नृत्य और अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दिल्लीवासियों को बिहार की जीवंत परंपराओं से रूबरू कराएंगी।

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इस कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार भवन के रेजिडेंट कमिश्नर कुंदन कुमार, आईएएस ने किया, जबकि विशिष्ट अतिथि शेखर आनंद, आईएएस, डायरेक्टर, टेक्निकल डेवलपमेंट उपस्थित रहे। उद्घाटन समारोह में बिहार के सांस्कृतिक और आर्थिक विकास को रेखांकित करते हुए कुंदन कुमार ने कहा, "बिहार उत्सव, राज्य की समृद्ध परंपरा और कला को देश-दुनिया से जोड़ने का एक सशक्त मंच है। यह उत्सव न केवल बिहार की विरासत को उजागर करेगा, बल्कि पर्यटकों को भी बिहार की यात्रा के लिए प्रेरित करेगा।"

बिहार की कला और व्यंजनों का संगम

उत्सव में बिहार की प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग, टिकुली कला, मंजूषा पेंटिंग, सूजनी कढ़ाई, सिक्की कला, सिल्क, खादी और लकड़ी व बॉस के हस्तशिल्प का अद्वितीय संग्रह देखने को मिलेगा। इसके अलावा, बिहार के लजीज व्यंजनों के स्टॉल भी लगाए गए हैं, जहाँ आगंतुक लिट्टी-चोखा, ठेकुआ, खाजा, बालूशाही और सत्तू पेय जैसे पारंपरिक व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं।

बिहार उत्सव 2025 बिहार सरकार द्वारा आयोजित एक वार्षिक आयोजन है, जो राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का प्रयास करता है। इस उत्सव के माध्यम से बिहार के कारीगरों और शिल्पकारों को नए बाजार और पहचान मिलेगी, जिससे उनकी आर्थिक समृद्धि भी सुनिश्चित होगी।
 

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