Edited By Nitika, Updated: 31 Jul, 2023 12:41 PM

2024 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) की रणनीति को लेकर मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) ने कहा कि 2024 चुनाव कोई भी स्पष्ट विजेता नहीं है...
Bihar News: 2024 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) की रणनीति को लेकर मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) ने कहा कि 2024 चुनाव कोई भी स्पष्ट विजेता नहीं है। निषाद समाज को आरक्षण मिलने के बाद ही गठबंधन पर फैसला करेंगे। अभी किसी भी गठबंधन में नहीं हैं। नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होने के बाद बीजेपी बिहार में खुद को मजबूत करने में जुटी है। ऐसे में बीजेपी ने चिराग पासवान से लेकर जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा तक को अपने साथ मिला लिया है।

वहीं सूत्रों की मानें तो बीजेपी मुकेश सहनी की VIP के साथ भी गठबंधन करना चाहती है और बीजेपी ने उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए 2 सीटों की पेशकश की है। माना जा रहा है कि चिराग पासवान और पशुपति पारस दोनों एक साथ आ सकते हैं। इसके लिए बीजेपी ने कोशिश तेज कर दी है। दरअसल, बीजेपी पूरी कोशिश में है कि चिराग अपने चाचा पशुपति पारस के साथ सामंजस्य बैठा लें। अगर ऐसा हुआ तो फिर से संयुक्त एलजेपी को बीजेपी की तरफ से 6 लोकसभा सीटें और 1 राज्यसभा सीट दी जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को 2024 के लोकसभा के लिए 2 लोकसभा और एक राज्यसभा सीट देने का प्रस्ताव दिया गया है। इसमें गया लोकसभा सीट भी शामिल है जबकि उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल को 3 लोकसभा सीटें और एक एमएलसी सीट मिलेगी।
अगर गठबंधन में शामिल होने के लिए मुकेश सहनी भी मान जाएं तो उन्हें भी 2 लोकसभा सीटें मिल सकती है। ऐसे में बीजेपी खुद 27 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और महागठबंधन को परास्त करने की कोशिश करेगी। खुद को सन ऑफ मल्लाह कहने वाले मुकेश सहनी इन दिनों निषाद समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर रथ यात्रा कर रहे हैं और इसी के जरिए NDA और महागठबंधन को अपनी ताकत का भी एहसास करा रहे हैं, हालांकि मुकेश सहनी चाहते हैं कि वो NDA का हिस्सा बनें लेकिन इसके लिए वो निषाद आरक्षण की मांग कर रहे हैं। सहनी को पता है कि महागठबंधन में पहले से ही काफी दल शामिल हैं। ऐसे में सीट शेयरिंग को लेकर वहां बात नहीं बनेगी। बात अगर 18 जुलाई को हुई एनडीए की बैठक की करें तो इसमें बीजेपी ने मुकेश सहनी को नहीं बुलाया था जबकि उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें जरूर न्योता मिलेगा। बैठक में नहीं बुलाने की मुख्य वजह निषाद समुदाय को एससी में शामिल किए जाने की मांग है, जिसे स्वीकार करना बीजेपी के लिए बहुत ही कठिन है।

बता दें कि मुकेश सहनी 100 दिनों की निषाद आरक्षण यात्रा में बिहार, झारखंड और उत्तरप्रदेश के 80 जिलों की 60 लोकसभा सीटों को कवर करेंगे। इस दौरान वो निषाद जाति के लोगों से गंगाजल की सौगंध दिलाएंगे ‘आरक्षण नहीं तो वोट नहीं’। वह निषाद समुदाय को ओबीसी से निकालकर SC में शामिल कराने की मांग कर रहे हैं। इस यात्रा के जरिए मुकेश सहनी लोकसभा चुनाव में निषाद समुदाय को अपने पक्ष में करने की कोशिश में लगे हुए हैं। यहां ये भी सवाल उठ रहा है कि क्या इस आरक्षण यात्रा के जरिए सहनी की वाकई में निषाद समुदाय के आरक्षण की लड़ाई को धार देने की रणनीति है या फिर अपनी सियासी ताकत दिखाकर एनडीए में अपने लिए सीट रिजर्व करना चाहते हैं।