Edited By Swati Sharma, Updated: 17 Mar, 2025 02:44 PM

Bihar News: जनता दल यूनाइटेड (JDU) के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद संजय झा (Sanjay Jha) ने सोमवार को राज्यसभा में मखाना किसानों (Makhana Farmers) की समस्याओं का मुद्दा उठाया और सरकार से मखाना को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वाले खाद्य पदार्थों...
Bihar News: जनता दल यूनाइटेड (JDU) के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद संजय झा (Sanjay Jha) ने सोमवार को राज्यसभा में मखाना किसानों (Makhana Farmers) की समस्याओं का मुद्दा उठाया और सरकार से मखाना को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वाले खाद्य पदार्थों की सूची में शामिल करने की मांग की ताकि उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके।
मखाना की खेती एक असाधारण और पीड़ादायक प्रक्रिया- Sanjay Jha
उच्च सदन में शून्यकाल के तहत इस मुद्दे को उठाते हुए संजय झा (Sanjay Jha) ने कहा कि बिहार में मखाना के उत्पादन से लेकर उसके प्रसंस्करण तक लगभग पांच लाख से अधिक मल्लाह श्रेणी और अति पिछड़े समाज के परिवारों की रोजी रोटी जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि मखाना की खेती एक असाधारण और पीड़ादायक प्रक्रिया है और पारंपरिक रूप से इसका उत्पादन गहरे तालाबों में होता आया है, जहां किसान मखाना के बीज को एकत्र करने के लिए गोता लगाता है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में समय भी बहुत लगता है और मजदूरी पर बहुत खर्च होता है। जदयू (JDU) सदस्य ने कहा कि बिहार सरकार की सहायता से पिछले कुछ वर्षों में किसानों ने मखाना की नर्सरी लगाने की प्रक्रिया शुरू की है। उन्होंने कहा, ‘‘नर्सरी लगाने से पहले खेत की दो-चार बार जुताई की जाती है और लगभग दो से तीन फुट तक पानी भरा जाता है। इस पानी को मॉनसून की बारिश आने तक बनाए रखना आवश्यक होता है, नहीं तो पूरी फसल नष्ट हो जाती है।''
मखाना को MSP की सूची में शामिल किया जाए- Sanjay Jha
मखाने (Makhana) के फल के कांटेदार होने और इसके उत्पादन में आने वाली तमाम कठिनाइयों का उल्लेख करते हुए संजय झा (Sanjay Jha) ने कहा कि इस प्रक्रिया में काफी मखाना खराब हो जाता है। उन्होंने कहा कि एक एकड़ मखाना की खेती में लगभग 60,000 से 75,000 रुपये का खर्च आता है। झा ने कहा कि अमूमन मखाने की खेती की प्रक्रिया में ही किसानों की बड़ी राशि खर्च हो जाती है। उन्होंने कहा, ‘‘हाल के वर्षों में किसानों को उचित मूल्य न मिलने की समस्या गंभीर रूप से उभरी है। मखाना का बाजार मूल्य उच्च होता है लेकिन जैसे ही किसान अपनी फसल को बाजार में लाता है उसका मूल्य अचानक गिर जाता है, जिससे किसानों को उचित मेहनताना भी नहीं मिलता है। उनका काफी नुकसान होता है।'' उन्होंने कहा, ‘‘इसके समाधान के लिए सरकार से अनुरोध है कि मखाना को एमएसपी की सूची में शामिल किया जाए। ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके।'' उन्होंने कहा कि इसके अलावा भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) और भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ मर्यादित (NCCF) जैसी सरकारी संस्थाओं द्वारा एमसपी पर मखाना खरीदने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
Sanjay Jha ने मखाना को फसल बीमा योजना में भी शामिल करने की मांग की
संजय झा (Sanjay Jha) ने मखाना को फसल बीमा योजना में भी शामिल किए जाने की मांग की ताकि किसानों को वित्तीय सुरक्षा मिल सके। उन्होंने इस बार के केंद्रीय बजट में मखाना बोर्ड (Makhana Board) के गठन की घोषणा किए जाने के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया और इसे मखाना किसानों की जिंदगी बदलने के लिए ‘क्रांतिकारी कदम' करार दिया। उन्होंने कहा कि इससे मखाना पर शोध हो सकेगा, नई तकनीक विकसित होगी, किसानों को उद्योग से जोड़ा जा सकेगा, किसान उत्पादक संगठनों (FPO) के माध्यम से किसानों को आर्थिक सहायता और निर्यात में मदद मिल सकेगी।