Edited By Ramanjot, Updated: 01 Sep, 2023 05:17 PM

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए और घायलों को पांच लाख रुपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया। पीठ ने सजा सुनाने के बाद कहा, ‘‘हमने ऐसा पहले कभी नहीं देखा।‘‘ पीठ...
नई दिल्ली/पटनाः उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को 1995 के दोहरे हत्याकांड मामले में दोषी ठहराते हुए शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता में शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 18 अगस्त को हत्या मामले में बरी करने के निचली अदालत और पटना उच्च न्यायालय के फैसलों को पलटते हुए प्रभुनाथ सिंह को दोषी करार दिया था।
कोर्ट ने कहा, ‘‘हमने ऐसा पहले कभी नहीं देखा"
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए और घायलों को पांच लाख रुपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया। पीठ ने सजा सुनाने के बाद कहा, ‘‘हमने ऐसा पहले कभी नहीं देखा।‘‘ पीठ ने दोषी पूर्व सांसद सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी और आर बसंत की दलीलें सुनने के बाद कहा, ‘‘एकमात्र विकल्प आजीवन कारावास या मौत की सजा है।‘‘ पीठ के समक्ष सिंह के अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने सजा के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की है। इस पर पीठ ने कहा कि उनकी याचिका पर नियमानुसार उचित समय पर चैंबर में विचार किया जाएगा।
शीर्ष अदालत ने पटना उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर यह फैसला सुनाया। पीड़ित के परिवार के सदस्य हरेंद्र राय ने 02 दिसंबर 2021 के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील की थी, जिसने निचली अदालत के 24 अक्टूबर 2008 के फैसले को बरकरार रखा था। निचली अदालत ने सिंह और छह अन्य को 18 वर्षीय राजेंद्र राय और 47 साल के दरोगा राय की हत्या से संबंधित सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था। बता दें कि पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह पहले से ही एक अन्य हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।
क्या है मामला?
यह मामला बिहार के सारण जिले के छपरा में मार्च 1995 में विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान के दिन दो लोगों की हत्या से जुड़ा है। शीर्ष अदालत ने बिहार के महाराजगंज क्षेत्र से कई बार सांसद रह चुके प्रभुनाथ सिंह को दोषी करार देते हुए कहा था कि इसमें जरा भी संदेह नहीं है कि सिंह ने अपने खिलाफ सबूतों को ‘‘मिटाने'' के लिए किये गये हरसंभव प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।