Edited By Swati Sharma, Updated: 26 Nov, 2024 04:14 PM
बिहार विधानसभा में आज आरक्षण और इसकी 65 प्रतिशत सीमा के मुद्दे पर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच जमकर हंगामा हुआ और नाराज विपक्ष भोजनावकाश से पहले सदन से बहिर्गमन कर गया।विधानसभा में मंगलवार को भोजनावकाश से पहले की कार्यवाही के दौरान सभा अध्यक्ष...
पटना: बिहार विधानसभा में आज आरक्षण और इसकी 65 प्रतिशत सीमा के मुद्दे पर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच जमकर हंगामा हुआ और नाराज विपक्ष भोजनावकाश से पहले सदन से बहिर्गमन कर गया।
विधानसभा में मंगलवार को भोजनावकाश से पहले की कार्यवाही के दौरान सभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव के आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष के कार्यस्थगन प्रस्ताव को खारिज किए जाने के तुरंत बाद ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने इस मुद्दे को उठाते हुए बिहार में जाति सर्वेक्षण के आधार पर आरक्षण सीमा में वृद्धि का श्रेय लेने की कोशिश की। उन्होंने अपने तर्क के समर्थन में अलग-अलग घटनाओं का उल्लेख करना शुरू किया, जिससे विपक्ष और वर्तमान के दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी एवं विजय कुमार सिन्हा सहित सत्ता पक्ष के बीच जोरदार बहस हुई।
यादव ने जब कहा कि यह महागठबंधन सरकार ही थी, जिसने ओबीसी, ईबीसी, एससी और एसटी के लिए आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 65 प्रतिशत किया तो सम्राट चौधरी ने इसका खंडन करते हुए कहा कि राज्य की जनता यादव के माता-पिता लालू प्रसाद यादव एवं राबड़ी देवी के 15 साल के शासन को नहीं भूले हैं, जिन्होंने अपने शासनकाल में इस वर्ग को एक भी आरक्षण नहीं दिया था। चौधरी ने कहा कि यह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ही थी, जिसने आरक्षण दिया और अब हर वर्ग इसका लाभ उठा रहा है। इससे नाराज होकर पूरा विपक्ष सदन से बहिर्गमन कर गया।