Bihar News: वृद्ध, विधवा और दिव्यांगों के लिए बिहार में बना ऐसा सहारा, जिसकी चर्चा हर ज़िले में..

Edited By Ramanjot, Updated: 27 Dec, 2025 08:53 PM

bihar social welfare scheme

बढ़ती उम्र, अकेलापन, बीमारी और आर्थिक असुरक्षा—इन सबके बीच जब ज़िंदगी बोझ लगने लगे, तब सहारे की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है।

Bihar News: बढ़ती उम्र, अकेलापन, बीमारी और आर्थिक असुरक्षा—इन सबके बीच जब ज़िंदगी बोझ लगने लगे, तब सहारे की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। बिहार में ऐसे ही लाचार वृद्धजनों, विधवाओं और दिव्यांगों के लिए बुनियाद केंद्र उम्मीद की एक मजबूत नींव बनकर उभरे हैं।

राज्य सरकार द्वारा संचालित ये केंद्र न सिर्फ इलाज की सुविधा देते हैं, बल्कि सम्मान के साथ जीने का हक़ भी सुनिश्चित करते हैं। बिहार के विभिन्न हिस्सों में कुल 101 बुनियाद केंद्र संचालित हैं, जिनमें 38 जिला स्तर पर और 63 अनुमंडल स्तर पर कार्यरत हैं।

लाखों ज़िंदगियों तक पहुंचा सहारा

समाज कल्याण विभाग के अनुसार, वर्ष 2017 से अब तक 16 लाख 56 हजार 259 लाभुकों को बुनियाद केंद्रों की सेवाओं का लाभ मिल चुका है। इनमें 10 लाख 94 हजार वृद्धजन, 4 लाख 59 हजार दिव्यांगजन और 1 लाख 2 हजार विधवाएं शामिल हैं। इन आंकड़ों के पीछे दर्द, संघर्ष और राहत की अनगिनत कहानियाँ छिपी हैं—जहाँ किसी को चलने का सहारा मिला, तो किसी को आँखों की रोशनी, और किसी को मानसिक संबल। बुनियाद केंद्रों की सबसे बड़ी खासियत है—समग्र देखभाल। हर केंद्र में फिजियोथेरेपिस्ट, नेत्र विशेषज्ञ, साइकोलॉजिस्ट, केयर गिवर, लीगल एडवाइजर, मैनेजर, कंप्यूटर ऑपरेटर, रसोइया और रोजगार प्रशिक्षक जैसे कर्मी तैनात हैं।

शोषण या अत्याचार का शिकार हुए वृद्ध, विधवा या दिव्यांगजनों को यहां कानूनी सलाह भी दी जाती है, ताकि वे अपने अधिकारों के लिए मजबूती से खड़े हो सकें।

फिजियोथेरेपी से लौटती है चलने की ताकत

घुटनों का दर्द, कमर की समस्या, चलने या पकड़ने में कठिनाई—ऐसी कई परेशानियाँ वृद्ध और दिव्यांगजनों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी को सीमित कर देती हैं। बुनियाद केंद्रों में आधुनिक मशीनों से युक्त फिजियोथेरेपी सुविधा उपलब्ध है, जिससे दर्द में राहत और जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो रही है।

आँखों की रोशनी लौटाने की पहल

50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए यहाँ नेत्र जांच की व्यवस्था है। ज़रूरत पड़ने पर लाभुकों को मुफ्त चश्मा भी उपलब्ध कराया जाता है, जिससे उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी आसान बन सके।

मानसिक संबल का केंद्र

अकेलापन, तनाव और अवसाद से जूझ रहे लोगों के लिए बुनियाद केंद्रों में साइकोलॉजिस्ट द्वारा काउंसलिंग की जाती है। बातचीत और मार्गदर्शन के जरिए मानसिक बोझ को हल्का करने की कोशिश होती है।

पेंशन और प्रमाणपत्र में भी मदद

वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन या दिव्यांग प्रमाणपत्र से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए भी बुनियाद केंद्र अहम भूमिका निभा रहे हैं। स्टाफ द्वारा या तो मौके पर समस्या सुलझाई जाती है या सही प्रक्रिया की जानकारी दी जाती है।

सामाजिक सुरक्षा की मजबूत नींव

बुनियाद केंद्र केवल सेवा केंद्र नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए सम्मान और सुरक्षा का भरोसा हैं, जिन्हें समाज अक्सर हाशिए पर छोड़ देता है। ये केंद्र साबित कर रहे हैं कि सही नीति और संवेदनशील सोच से लाखों ज़िंदगियों में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
 

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